#मुहम्मद_की_वैदिक_परंपरा
मुहम्मद खुद कौरव वंश से ही था । उसका खानदान कुरेशी खानदान था, लगभग 6000 वर्ष पूर्व महाभारतीय युद्ध समाप्त होने के पश्चात कौरव राजघराने के राजपुत्रः कुरु-ईश यानि कुरुकुल प्रमुख कहलाते हुए स्थानस्थान पर अधिकार पद पर थे । ऐसा ही एक कुरुईश कुल अर्बस्थान में काबा मंदिर परिषद का स्वामी था, उसी कुल में मुहम्मद का जन्म हुआ ।
#मुहम्मद_का_संस्कृत_नाम
अरबी परम्परा के अनुसार मुहम्मद का मूल बचपन का नाम क्या रहा था, कोई नही जानता, वह लुप्त हो गया है । मुहम्मद किसी कारणवश रूढ़ हुई एक उपाधि है। अरबी भाषा मे इसका कोई अर्थ बैठता नही । किन्तु इतिहास की ऐसी कई गुत्थियां संस्कृत से सुलझाई जा सकती है । मुहम्मद शब्द का विश्लेषण संस्कृत में महान मदः यस्य यसौ महमदः ऐसा बहुब्रीहि समास बनता है । इसके दो अर्थ निकलते है, एक अच्छा, दूसरा बुरा । अच्छा अर्थ है प्रतिभाशाली व्यक्ति, बुरा अर्थ है बड़ा घमंडी व्यक्ति । संभव है जब काबा के मंदिर में मुहम्मद ने तोड़ फोड़ की हो, तब लोगो ने घमंडी मानकर उन्हें महमदः कहना शुरू कर दिया, जो आज मुहम्मद बन गया है ।
#अल्लाह_भी_संस्कृत
अल्ला: शब्द वैदिक परम्परा में देवी का निर्देशक है । अल्ला-अलका-अम्बा तीन समानार्थी शब्द है । Gulf or Akkaba भी नाम इसलिए पड़ा है की वहां सागर तट पर देवी के विशाल मंदिरो का एक पवित्र तीर्थ स्थान था । संस्कृत में अल्लेश्वरी देवी के स्रोत्र है । एक अल्लोपनिषद भी है । चंडी , भवानी, अम्बा , दुर्गा, पार्वती आदि एक ही है ।
यधपि मुसलमानो में अल्लाह को पुल्लिंग माना गया है । वह संस्कृत में मूल स्त्रीवाचक शब्द है । इस्लामी प्रथा में भी इसका एक महत्वपूर्ण स्थान मिलता है । मुसलमान लोग "या अल्ला " कहते है, जबकि पुल्लिंग उद्गार " है अल्लाह " या " ओ अल्लाह " होना चाहिए था ।
#काबा_की_सात_परिक्रमा
हिन्दुओ की भांति मुस्लिम भी काबा की सात परिक्रमाएं भी करते है । इसे संस्कृत में सप्तपदी भी कहते है । वैदिक विवाहों में भी तो सात फेरे ही लिए जाते है । अतः यह सात परिक्रमा तो साफ साफ वैदिक रिवाज ही है ।
#शबे_बरात
इस्लामपूर्व वैदिक काल मे शिवव्रत होता था । वह शिवव्रत काबा के मंदिर में बड़े धूमधाम से बनाया जाता था, जो कि अब शबेबारात हो गया है ।
#हज
हज शब्द संस्कृत के व्रज शब्द का संस्कृत अपभ्रंस है । इसका अर्थ होता है एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना ।
#मुहम्मद_हिन्दू_ही_था
जैसे ऊपर आपने पढ़ा कि मुहम्मद कुरुईश उर्फ कौरव उर्फ कुरैशी वंश का हिन्दू ही था । उसका खानदान वैदिक परंपरा मानने वाला कुल था ।
#मुहम्मद_के_चाचा_हिन्दू_प्रेमी
मुहम्मद का चाचा उमर बिन्ना हश्शाम जो प्रार्थना करता था, उनमे से एक इस प्रकार है ;-
कफारोमल फिक्र मिल उल मीन अयसरू
कलुबन अभातुल हवाबस तजखरू !!
वा ताबख़्यरोबा उदन कलावन्दे -ए - लिखो आबा
बलुकायने जललति - हे रोमा तब अयशरू
वा आबा लोल्हा अजबु अमीमन महादेव - ओ
मनोबली इनामुद्दीन मिनहुम या सयतरु
मय्यसरे अखलाखन हस्सान कुल्लहूम
नुजमुम अता अत सुम्मा गुबुल हिन्दू
इस कविता का अर्थ इस प्रकार है
यदि कोई व्यक्ति पापी या अधर्मी बने
वह काम और क्रोध में डूबा रहे
किन्तु पश्चाताप कर वह सद्गुणी बन जाये
तो क्या उसे सद्गति प्राप्त हो सकती है ?
हां ! अवश्य यदि वह शुद्ध अंतःकरण से
शिवभक्ति में लीन हो जाये तो
उसकि आध्यात्मिक उन्नति होगी
हे भगवान शिव मुझे मेरे सारे जीवन के बदले
मुझे केवल एक दिन भारत निवास का अवसर दे
जिससे मुझे मुक्ति प्राप्त हो ।
भारत की एक मात्र यात्रा करने से , सबको पुन्यप्राप्ति ओर सन्तसमागम का लाभ प्राप्त होता है ।
इस कविता में हिन्दू शब्द को कितना आदर दिया गया है । आर्य समाजी हिन्दुओ में यह कल्पना करवा देना चाहते है कि हिन्दू शब्द गाली है, यह कितना बड़ा घोर षड्यंत्र सनातन के विरुद्ध इन आर्य समाजियो द्वारा रचा जा रहा है ।
काबा की संघर्ष स्म्रति आज भी जिंदा है । जिस तरह हज यात्रा में शैतान कहकर पत्थर बरसाए जाते है, मुहम्मद के नेतृत्व में यही पत्थर , इसी प्रकार से हिन्दुओ पर बरसाए गए थे । आज भी कश्मीर में हिन्दू सेना पर मुसलमान ऐसे ही पत्थर बरसाते है ।
चाचा उमर बिन के साथ मुहम्मद की शत्रुत्ता के कारण मुहम्मद के अनुयाई लोगो ने उसे जिहल अर्थात बुद्धू कहना शुरू कर दिया ।
मुहम्मद खुद कौरव वंश से ही था । उसका खानदान कुरेशी खानदान था, लगभग 6000 वर्ष पूर्व महाभारतीय युद्ध समाप्त होने के पश्चात कौरव राजघराने के राजपुत्रः कुरु-ईश यानि कुरुकुल प्रमुख कहलाते हुए स्थानस्थान पर अधिकार पद पर थे । ऐसा ही एक कुरुईश कुल अर्बस्थान में काबा मंदिर परिषद का स्वामी था, उसी कुल में मुहम्मद का जन्म हुआ ।
#मुहम्मद_का_संस्कृत_नाम
अरबी परम्परा के अनुसार मुहम्मद का मूल बचपन का नाम क्या रहा था, कोई नही जानता, वह लुप्त हो गया है । मुहम्मद किसी कारणवश रूढ़ हुई एक उपाधि है। अरबी भाषा मे इसका कोई अर्थ बैठता नही । किन्तु इतिहास की ऐसी कई गुत्थियां संस्कृत से सुलझाई जा सकती है । मुहम्मद शब्द का विश्लेषण संस्कृत में महान मदः यस्य यसौ महमदः ऐसा बहुब्रीहि समास बनता है । इसके दो अर्थ निकलते है, एक अच्छा, दूसरा बुरा । अच्छा अर्थ है प्रतिभाशाली व्यक्ति, बुरा अर्थ है बड़ा घमंडी व्यक्ति । संभव है जब काबा के मंदिर में मुहम्मद ने तोड़ फोड़ की हो, तब लोगो ने घमंडी मानकर उन्हें महमदः कहना शुरू कर दिया, जो आज मुहम्मद बन गया है ।
#अल्लाह_भी_संस्कृत
अल्ला: शब्द वैदिक परम्परा में देवी का निर्देशक है । अल्ला-अलका-अम्बा तीन समानार्थी शब्द है । Gulf or Akkaba भी नाम इसलिए पड़ा है की वहां सागर तट पर देवी के विशाल मंदिरो का एक पवित्र तीर्थ स्थान था । संस्कृत में अल्लेश्वरी देवी के स्रोत्र है । एक अल्लोपनिषद भी है । चंडी , भवानी, अम्बा , दुर्गा, पार्वती आदि एक ही है ।
यधपि मुसलमानो में अल्लाह को पुल्लिंग माना गया है । वह संस्कृत में मूल स्त्रीवाचक शब्द है । इस्लामी प्रथा में भी इसका एक महत्वपूर्ण स्थान मिलता है । मुसलमान लोग "या अल्ला " कहते है, जबकि पुल्लिंग उद्गार " है अल्लाह " या " ओ अल्लाह " होना चाहिए था ।
#काबा_की_सात_परिक्रमा
हिन्दुओ की भांति मुस्लिम भी काबा की सात परिक्रमाएं भी करते है । इसे संस्कृत में सप्तपदी भी कहते है । वैदिक विवाहों में भी तो सात फेरे ही लिए जाते है । अतः यह सात परिक्रमा तो साफ साफ वैदिक रिवाज ही है ।
#शबे_बरात
इस्लामपूर्व वैदिक काल मे शिवव्रत होता था । वह शिवव्रत काबा के मंदिर में बड़े धूमधाम से बनाया जाता था, जो कि अब शबेबारात हो गया है ।
#हज
हज शब्द संस्कृत के व्रज शब्द का संस्कृत अपभ्रंस है । इसका अर्थ होता है एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना ।
#मुहम्मद_हिन्दू_ही_था
जैसे ऊपर आपने पढ़ा कि मुहम्मद कुरुईश उर्फ कौरव उर्फ कुरैशी वंश का हिन्दू ही था । उसका खानदान वैदिक परंपरा मानने वाला कुल था ।
#मुहम्मद_के_चाचा_हिन्दू_प्रेमी
मुहम्मद का चाचा उमर बिन्ना हश्शाम जो प्रार्थना करता था, उनमे से एक इस प्रकार है ;-
कफारोमल फिक्र मिल उल मीन अयसरू
कलुबन अभातुल हवाबस तजखरू !!
वा ताबख़्यरोबा उदन कलावन्दे -ए - लिखो आबा
बलुकायने जललति - हे रोमा तब अयशरू
वा आबा लोल्हा अजबु अमीमन महादेव - ओ
मनोबली इनामुद्दीन मिनहुम या सयतरु
मय्यसरे अखलाखन हस्सान कुल्लहूम
नुजमुम अता अत सुम्मा गुबुल हिन्दू
इस कविता का अर्थ इस प्रकार है
यदि कोई व्यक्ति पापी या अधर्मी बने
वह काम और क्रोध में डूबा रहे
किन्तु पश्चाताप कर वह सद्गुणी बन जाये
तो क्या उसे सद्गति प्राप्त हो सकती है ?
हां ! अवश्य यदि वह शुद्ध अंतःकरण से
शिवभक्ति में लीन हो जाये तो
उसकि आध्यात्मिक उन्नति होगी
हे भगवान शिव मुझे मेरे सारे जीवन के बदले
मुझे केवल एक दिन भारत निवास का अवसर दे
जिससे मुझे मुक्ति प्राप्त हो ।
भारत की एक मात्र यात्रा करने से , सबको पुन्यप्राप्ति ओर सन्तसमागम का लाभ प्राप्त होता है ।
इस कविता में हिन्दू शब्द को कितना आदर दिया गया है । आर्य समाजी हिन्दुओ में यह कल्पना करवा देना चाहते है कि हिन्दू शब्द गाली है, यह कितना बड़ा घोर षड्यंत्र सनातन के विरुद्ध इन आर्य समाजियो द्वारा रचा जा रहा है ।
काबा की संघर्ष स्म्रति आज भी जिंदा है । जिस तरह हज यात्रा में शैतान कहकर पत्थर बरसाए जाते है, मुहम्मद के नेतृत्व में यही पत्थर , इसी प्रकार से हिन्दुओ पर बरसाए गए थे । आज भी कश्मीर में हिन्दू सेना पर मुसलमान ऐसे ही पत्थर बरसाते है ।
चाचा उमर बिन के साथ मुहम्मद की शत्रुत्ता के कारण मुहम्मद के अनुयाई लोगो ने उसे जिहल अर्थात बुद्धू कहना शुरू कर दिया ।
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