लालकिला पृथ्वीराज चौहान ने बनवाया था


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पृथ्वीराज रासो ओर उसके समकालीन ग्रन्थों में साफ लिखा हुआ है कि पृथ्वीराज चौहान यमुना के तट पर एक राजमहल में रहता था । इन लेखों में यह भी बताया गया है कि पृथ्वीराज का महल " लालकोट " के नाम से विख्यात था ! क्यो की इसकी दीवारें लाल थी । यह लालकोट आज "लालकिला " कहलाता है । इतनी जानकारी उपलब्ध होने के बाद भी व्यर्थ में लालकिला बनाने का श्रेय " शाहजहां " को दिया जाता है ।


शाहजहां से लगभग 250 वर्ष पूर्व दिल्ली निवासियों का नरसंहार करने वाले तैमुर लंग ने पुरानी दिल्ली और लालकिले दोनो का जिक्र किया है । लेकिन फिर भी गद्दार भारतीय इतिहासकार लालकिले ओ पुरानी दिल्ली दोनो का श्रेय शाहजहां को देते है । दिल्ली में लालकिला पुरानी दिल्ली का नाभिय स्थल है । चांदनी चौक का वह मार्ग को लालकिले को एक भवन से जोड़ता है, वह फतेहपुरी मस्जिद कहलाता है । यह हिन्दू शाशक पृथ्वीराज की कुलदेवी का मंदिर था । इस प्रकार शाहजहां से 400 वर्ष पूर्व भी लालकिला ओर पुरानी दिल्ली अस्तित्व ने थी । और पृथ्वीराज द्वारा ही बसाई गयी थी ।

किले के पिछले भाग प्रवाहित यमुना तट राजघाट कहके पुकारा जाता है । यह संस्कृत शब्द है । यदि यह शाहजहां ने बनाया होता, तो यमुना तट का यह भाग राजघाट ना होकर बादशाह घाट कहलाता ।

किले के बाहर एक हाथी की मूर्ति चित्रित है । इस्लाम तो किसी भी प्रकार की मूर्तिकरण का घोर विरोध करता है ।मुसलमानो के तो दिमाग़ की नसें तन जाती है, जब मूर्ति देख लेते है । जबकि राजपूतो का गज प्रेम तो विश्वविख्यात है ।

चाहे केशरकुण्ड हो या लालकिले में राजा के न्याय करते कि तस्वीरे, यह सब हिन्दू निशानी है, जो कि जयपुर के आमेर महल से भी बहुत मिलती है । फिर भी ना जाने क्यो इसे मुसलमानो के नाम कर दिया गया है ।

#दिल्ली_का_लाल_किला " लालकोट " है ।

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