Friday, 21 July 2017

मिहिरकुल

सबसे पहले तो आपके मन से यह वहम दूर हो जाना चाहिए की मिहिरकुल हुण था । मिहिरकुल का तो असली नाम क्या था, वामपंथी इतिहास के कारण यह भी अज्ञात है । मिहिरकुल इसका अर्थ होता है - सूर्य के वंश से । अर्थात सुर्यवंशी राजा ।।
स्पष्ठ है, सुर्यवंशी राजा केवल राजपूतो में हुए है । जहां तक बात है हूणों की ! हुण बंजारे थे ! यह एक लुटेरी किस्म की प्रजाति थी, जो रूस और यूरोप के मध्य बसती थी ! जबकि मिहिरकुल के पिता तोरमाण आज के पाकिस्तान के शाशक थे !!!
किसी भी वंश या राष्ट्र का पतन होना हो, तो वह धर्मनिरपेक्षता धारण करता है ! वह चाहे मौर्य धर्मनिरपेक्ष बन के अपना नाश करवाये, या फिर गुप्त साम्राज्य !!
अपने अंतकाल में गुप्त साम्राज्य भी धर्मनिरपेक्ष हो चुका था ! बोद्धमठो का अड्डा भारत बन चुका था ! एक ओर बढ़ती हुई शक्ति थी जैन !!
जैन और बौद्धों ने मिलकर भारत का सर्वनाश करना प्रारम्भ कर दिया ! जैन जहां धन आदि का लालच देकर सनातनियो का धर्मपतन कर रहे थे , वहीं बोद्ध सनातनीयो की हत्या आदि कर भारत का नाश कर रहे थे । बौद्धों ओर मुसलमानो में कोई फर्क नही है !! जबकि बोद्ध तो नीचता की सीमा हर बार पर किये है, भारत की पीठ में छुरा घोंपकर !!
गुप्त साम्राज्य के अंत समय मे सनातनीयो को यह भय सताने लगा था, की धर्म अब बचेगा भी या नही ? क्यो की आज के ईसाइयो की तरह जैन भारतियों का धर्म परिवर्तन करवा रहे थे, ओर मुसलमानो की तरह बोद्ध !!
लेकिन राजपूत समाज ने हमेशा धर्म की रक्षा की है --- इसी समय एक राजपूत क्षत्रिय का उदय हुआ -- नाम था उसका मिहिरकुल
मिहिरकुल इतना कट्टर था कि जिसके बारे में बौद्ध और जैन धर्मग्रंथों में विस्तार से जिक्र मिलता है। वह भगवान शिव के अलावा किसी के सामने अपना सिर नहीं झुकाता था। यहां तक कि कोई हिन्दू संत उसके विचारों के विपरीत चलता तो उसका भी अंजाम वही होता, जो शाक्य मुनियों का हुआ। मिहिरकुल के सिक्कों पर 'जयतु वृष' लिखा है जिसका अर्थ है- जय नंदी।
राजा मिहिरकुल एक विशाल घुड़सवार सेना और कम से कम 2 हजार हाथियों के साथ चलता था वह भारत का स्वामी था ।
मिहिरकुल के भारत की गद्दी पर बैठने से पूर्व भारत के हिस्से अफगानिस्तान, आज का भारतीय पंजाब तो पूर्ण बोद्ध देश बन चुके थे, फैलते फैलते यह बिहार तक आ पंहुचा था ।
मिहिरकुल ने बड़ी वीरता के साथ सबसे पहले गुप्त साम्राज्य को ध्वस्त किया ! धीरे धीरे उसने राजस्थान और गुजरात के प्रदेश भी जीते ।
एक बार किसी बोद्ध ने उसका अपमान कर दिया !! जैसे आज मुसलमान हिन्दू शाशक नरेंद्र मोदी का करते है !! उस दिन बौद्धों ने अपने विनाश को निमंत्रण दे दिया !! मिहिरकुल ने घोषणा करवा दी, की जो भी बोद्ध ओर जैनियों के गले काट कर लाएगा , उसे स्वर्ण मुद्राएं प्रदान की जाएगी ।
ओर उसने अपना सैन्य अभियान घर की सफाई में लगाया सो अलग .....
जैन व बौद्ध ग्रंथो ने मिहिरको कल्की अवतार माना है कल्की अवतार के बारे मै लिखा है । इस तरह बोद्ध ओर जैन ने खुद अपनी गद्दारी स्वीकार की है ।
भारत से बोद्ध को उसने पूरी तरह खदेड़ दिया ! गैर- सनातनी होने का मतलब था , मृत्यु या सनातन में वापसी । हर हर महादेव का नारा भी उसी का लगाया था ! उसी की सेना हर हर महादेव के नारों के साथ मल्लेछो का संघार करती थी । पूरे भारत से उसने बौद्धों को खदेड़ चीन तक पहुंचा दिया !! गिने चुने बोद्ध ओर जैनी भारत मे रह गए थे । जो आज तक तकलीफ दे रहे है ।
अनेको शिवमन्दिर के निर्माता मिहिरकुल ने जीवन भर महादेव के अलावा किसी के आगे सिर नही झुकाया ! वह सुर्यवंशी राजा था ! और आज भी उसका नाम सूर्य की भांति ही चमक रहा है । आप ओर में हिन्दू है , तो मिहिरकुल की वजह से, नही तो भारत आज बोद्ध राष्ट्र ही होता ।।

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