महर्षि याज्ञवल्क्य पहला संविधान निर्माता

महर्षि याज्ञवल्क्य :
1800 साल पहले लिखा गया था भारत का पहला संविधान लिखा था अंग्रेजी संविधान से बेहतर एक संविधान?

भारत का पहला संविधान – आजादी के समय भारत को संविधान दिया गया ताकि सभी को उनके कर्तव्य और अधिकारों का ज्ञान हो जाये.
क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह सब बातें उसके अन्दर शामिल की गयी है. लेकिन अब एक सवाल यह है कि जब हजारों सालों पहले, (जब भारत गुलाम नहीं था) क्या तब समाज को नियम-कानून की जरूरत नहीं पड़ती थी?
असल में तब भी एक संविधान हुआ करता था.
हर क्षेत्र के अलग कानून हुआ करते थे और कुछ नियम-कानून सामान हुआ करते थे.धर्मशास्त्र का नाम सुना है?
धर्मशास्त्र में खाना-पीना, विवाह इत्यादि से लेकर आपस में कैसा व्यवहार किया जाये तक और क्या नहीं करना है तक, सभी कानून लिखे हुए थे. हमारे प्राचीन लोग इसे धर्मशास्त्र बोलते थे. आज से लगभग 1800 साल पहले याज्ञवल्क्शास्त्र का निर्माण हुआ था. इसी को धर्म शास्त्र कहते हैं. (सबूत के तौर पर लेखक कृष्ण देव गौण की पुस्तक हमारे पूर्वज पढ़ें).
असल में दुनिया ने इसको कॉपी किया है
असल बात यह है कि जब कुछ विदेशी यात्री भारत घुमने आये तो उनको धर्मशास्त्र काफी रोचक लगा, वैसे इससे पहले देश में मनु स्मृति भी एक तरह का शास्त्र था किन्तु संविधान का अच्छा उदाहरण धर्मशास्त्र ही होगा. यहाँ से विदेशी लोगों ने इसको फोलो किया और यूरोप के कई देशों में संविधान का यही रूप लागू भी हुआ था. अब आप देखिये कि बाद में इंग्लिश मीडियम के संविधान को हमने कॉपी किया है जबकि महात्मा गांधी इंग्लैंड की संसद को वेश्याओं का अड्डा बोलते थे.

तो देश का पहला संविधान किसने लिखा था?
अब महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि धर्मशास्त्र के निर्माता का नाम याज्ञवल्क्य था.
ऋषि याज्ञवल्क्य ने देश के कोने-कोने में घूमकर सभी जगहों के नियम-कानून पढ़े और सुने और जो सबसे अच्छे थे उनको एक जगह लिखा था. इस प्रकार धर्मशास्त्र का निर्माण हुआ था.
लेखक कृष्ण देव गौण की पुस्तक हमारे पूर्वज में, धर्मशास्त्र के बारें में आप विस्तार से पढ़ सकते हैं.
पुस्तक में लिखा गया है कि धर्म शास्त्र को याज्ञवल्क्य-स्मृति के नाम से भी जाना जाता है. इसमें एक हजार बारह श्लोक हैं. यह श्लोक की बताते हैं कि बेहतर समाज के निर्माण के लिए व्यक्तियों का आचरण क्या होना चाहिए. अब आप ही देखिये कि याज्ञवल्क्य संहिता का अनुवाद अगर इंग्लिश और जर्मनी में हुआ है तो निश्चित रूप से इसके पीछे कुछ तो राज रहा होगा. जमीन-जायदाद सम्बन्धी मामलों का हल तो आज भी इसी धर्मशास्त्र के आधार पर हो रहा है.
याज्ञवल्क्य के बारें में

तो भारत का पहला संविधान जिसके निर्माता याज्ञवल्क्य थे.
यह बहुत ही बड़े तपस्वी और विद्वान थे. इन्होनें शास्त्र ज्ञान में बहुत से बड़े-बड़े पंडितों को हराया था. आज से हजारों साल पहले जो नियम-कानून याज्ञवल्क्य ने अपने धर्मशास्त्र में लिखे थे, उनका वजूद आज भी जस का तस बना हुआ है. एक भी बात आज पुरानी नहीं हुई है. सत्य तो यह है कि आज के संविधान से लाख गुणा अच्छा धर्मशास्त्र है जो हर व्यक्ति को समान नजर से देख रहा है और अगर आज भी धर्मशास्त्र लागू कर दिया जाये तो गरीबी, नक्सलवाद और भुखमरी जैसी हजारों समस्याओं का अंत जल्द से जल्द हो जायेगा. सालों तक भारत देश ने इसी संविधान – भारत का पहला संविधान – का अनुकरण किया था जब देश सोने की हर तरह से खुशहाल था.
किन्तु आज के हमारे युवाओं को यह पता ही नहीं है कि धर्मशास्त्र या याज्ञवल्क्य-शास्त्र नाम का कोई भारत का पहला संविधान पहले से ही देश में मौजूद है.



1857 के विद्रोह ने अंग्रेज कि सत्ता का नीव हिला दिया था | अंग्रेजों ने सत्ता में कुछ भारतीयों को आगे कर ये संदेश देना चाहते थे कि अंग्रेज उनके हितेषी है | इसलिये समाजिक राजनितिक रणनिती में बदलाव करते हुए |
1882 का हंटर commision को तोड़ो और शासन करो के तहत लागु किया |
प्रमुख विभाजन कारी बदलाव :

÷ कोंग्रेश कि स्थापना ÷


अंग्रेज को सेना में भर्ती के लिये नौजवान को प्रेरित करना और भारतीय में संदेश देना कि अंग्रेज भारत छोड़ रहे हैं | प्रथम और द्वितिय विस्व युद्ध में सेना कि भर्ती कोंग्रेश ने किया था |

÷ शिक्षा और न्याय में भागीदारी ÷
वकिल , किरानी, चपरासी इत्यादी छोटे पद पर निर्णय का अधिकार भारतीय को दिया |
÷ समाज़िक बदलाव ÷

÷सुन्नी तुष्टीकरण :-अधिक संख्या में होने के कारन सुन्नी मुसलमान को बहुत सारे अधिकार दिये और शिया के बहुत सारे संस्था मस्जीद सुन्नी को दिये | मुसलिम के धर्म गुरू को अंग्रेज ने समाज में अच्छायी बताने को कहा |
÷ हिन्दू में 1882 का हंटर commision आरक्षण ÷
मुगल द्वारा बनाये गये अछुत के लिये आरक्षण दिया | समाज तोडने और के लिये अमेरिका में सफल हुए मूलनिवासी सिद्धांत को बढावा दिया | ऊँच - निच सिद्धांत लागु किया |
÷ विभिन्न समाज़िक और धार्मिक संगठन को बढावा ÷

विभिन्न हिन्दू विरोधी समाज़िक और धार्मिक संगठन को बढावा दिया और ब्राहमण विरोध प्रमुख था | आर्य समाज , ब्रहमसमाज इत्यादी संगठन को मजबुत किया | ज़िससे समाज में गरीबी के उच्च वर्ग को ज़िम्मेवार ठहराया और अंग्रेज को हितेशी बताया | आर्य समाज में ब्राह मन और अंग्रेज सदस्य थे |आर्य समाज के लोग खुद को आर्य कहते थे | ज़िससे समाज में संदेश गया कि आर्य विदेशी है |
आर्य समाज,1882 का हंटर commision आरक्षण, राजा राम मोहन राय, र्ज्योतिबा फुले ,समाज सुधार , गरीब उत्थान, शुद्र न्याय , महिला उत्थान, वामपन्थी सिर्फ समाज तोड़ो निती के तहत कार्यक्रम और अंग्रेज ने मोहरे कि तरह उपयोग किया था |
ज़िससे अंग्रेज हिन्दू समाज को बदनाम और फूट डाल सके |

क्या लूटेरा क्रूर अंग्रेज भारतिय का भला करने आये थे ?ईन लोगों पर खजाने का बारिस करना इतना शुद्र महिला प्रेम दिखाना क्या बताता है ? ये एक अंग्रेज का चाल था ज़िससे सत्ता बचाया जा सके समाज तोडा जा सके |

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