Saturday, 22 July 2017

वामपंथी विचारधारा समाज और धर्म विरोधी

वामपंथी विचारधारा समाज और धर्म विरोधी 
आर्य शब्द का अर्थ विशिष्ट तथा श्रेष्ठ गुण जन है। आर्यो के आक्रमण से संबंद्धित सिद्धांत औपनिवेशिक भारत के दुष्परिणामों में से एक है। ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा प्रायोजित विद्वानों ने बलपूर्वक आर्य शब्द के जातीय संदर्भ ढूंढ़कर द्रविड़ के सामने खड़ा किया। उत्तर-दक्षिण तथा निम्न उच्च आदि विवाद भारत की अखंडता के लिए खतरा हैं।
क्या आर्य हिन्दू विदेशी है ?
उत्तर : नहीं
एशिया और यूरोप को अंग्रेजी में यूरेसिया हिंदी (आर्याव्रत) कहते है |
यूरेशिया में एशिया |
एशिया में भारत है | कावेरी नदी भारत में है |

आर्य का जन्म कावेरी नदी के किनारे गोंडवाना लैंड के पास हुआ !
यूरेसिया (यरोप+एशिया) | एशिया में भारत |
भारत में कावेरी नदीके गोंडवाना लैंड में जन्मे आर्य स्वदेशी है |
कावेरी नदी के किनारे से ही मानव (मनु के संतान - मनुष्य) सभ्यता का जन्म और विकास हुआ था |
हिंदी शब्द के अंग्रेजी और संस्कृत में समानार्थक शब्द
पृथ्वी:
अर्थ EARTH = पृथ्वी
आर्याव्रत :
यूरेसिया (यरोप+एशिया) EURASIA ( Europe + Asia ) = आर्याव्रत
जम्बू द्वीप :
एशिया = जम्बू द्वीप
भारतबर्ष:
ईरान + अफगानिस्तान+पाकिस्तान+नेपाल +भारत +म्यांमार +भूटान +बंग्लादेश + श्रीलंका = भारतबर्ष
हिन्दुस्तान
इंडिया = हिन्दुस्थान

हिन्दू शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई ?
हिन्दू धर्म का उल्लेख वेद पुराणों में नहीं है इसलिए कुछ अति बुद्धिमान (सेक्यूलर) लोग कहते हैं कि हिन्दू शब्द फारसियों की देन है.
हजारों वर्ष पूर्व लिखे गये सनातन शास्त्रों में वर्णित चंद श्लोक (अर्थ सहित) प्रमाणिकता सहित इस प्रकार से हैं :-
1-ऋग्वेद के ब्रहस्पति अग्यम में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया है......!
"हिमलयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ।।
(अर्थात, हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं)
2- सिर्फ वेद ही नहीं अपितु मेरूतंत्र ( शैव ग्रन्थ ) में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया है.....
"हीनं च दूष्यतेव् हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये ।"
(अर्थात, जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं)
3- और इससे मिलता जुलता लगभग यही यही श्लोक कल्पद्रुम में भी दोहराया गया है....!
"हीनं दुष्यति इति हिन्दू ।"
(अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते है )
4- पारिजात हरण में हिन्दू को कुछ इस प्रकार कहा गया है....!
"हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टं । हेतिभिः श्त्रुवर्गं च स हिन्दुर्भिधियते ।।"
(अर्थात, जो अपने तप से शत्रुओं, दुष्टों और पाप का नाश कर देता है, वही हिन्दू है )
5- माधव दिग्विजय में भी हिन्दू शब्द को कुछ इस प्रकार उल्लेखित किया गया है....!
"ओंकारमन्त्रमूलाढ्य पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य: ।
गौभक्तो भारतगरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः ।।
(अर्थात, वो जो ओमकार को ईश्वरीय धुन माने, कर्मों पर विश्वास करे, सदैव गौपालक रहे तथा बुराईयों को दूर रखे, वो हिन्दू है )।


क्या है मूलनिवासी दिवस ?
अमेरिका में आदिवासी जाति रहती थी । वहां पर आदिवासी जाति अंग्रेजो की गुलामी स्वीकार नहीं करती थी । वहां की आदिवासी जाति को नष्ट करने के लिए अंग्रेजो ने समाज तोड़ो शासन करो नीति के तहत । मूलनिवासी मुद्दा को उठाया । जिससे मूलनिवासी ने अमेरिका के निवासी के विरूद्ध लड़ाई छेड़ दिया । उसके बाद अंगेजो ने बड़ी बर्बरता के साथ वहाँ के मूलनिवासी का सफाया किया था ।
यह मूलनिवासी दिवस पश्चिम के गोरों की देन है. कोलंबस दिवस के रूप में भी मनाये जाने वाले इस दिन को वस्तुतः अंग्रेजों के अपराध बोध को स्वीकार करनें के दिवस के रूप में मनाया जाता है. अमेरिका से वहां के मूलनिवासियों को अतीव बर्बरता पूर्वक समाप्त कर देनें की कहानी के पश्चिमी पश्चाताप दिवस का नाम है मूलनिवासी दिवस. इस पश्चिमी फंडे मूलनिवासी दिवस के मूल में अमेरिका के मूलनिवासियों पर जो बर्बरतम व पाशविक अत्याचार हुए व उनकी सैकड़ों जातियों को जिस प्रकार समाप्त कर दिया गया वह मानव सभ्यता के शर्मनाक अध्यायों में शीर्ष पर हैं. इस सबकी चर्चा एक अलग व वृहद अध्ययन का विषय है जो यहां पर इस संक्षिप्त रूप में ही वर्णन किया है .
दलित नेता जोगेंद्र नाथ मंडल और मूलनिवासी


जोगेंद्र नाथ मंडल ने जिन्ना का साथ दिया और मुसलमान को गले लगाया दलित- मुसलिम भाई भाई का नारा दिया था । मूलनिवासी जिंदाबाद कहा । जिन्ना के इसारे पर जोगेंद्र नाथ मंडल ने मुस्लिम - दलित साथ मिलकर भारत के खिलाफ जंग छेड़ दी । बंगाल, असम में सवर्णो की खून की होली खेली । कलकत्ता की धरती खून से लाल हो गयी । जिन्ना ने कहा हम बर्बाद भारत या अलग भारत चाहिए । जो आंदोलन का अंत बिहार में हुआ । बिहार में बखूबी इस खून की होली का बदला लिया गया । इस मुस्लिम - दलित आंदोलन के कारन भारत का विभाजन पूर्वी पाकिस्तान के नाम से हुआ जिसका आज नाम बांग्लादेश है |
वर्तमान जाति व्यवस्था का ज़िक्र शास्त्र में नहीं है | ये सारे जाति मुग़ल काल के है |
औरंगजेब का अत्याचार की कोई सीमा नही था | उसका अत्याचार दिनों दिन बढ़ता गया | वह रोज ढाई मन जनेऊ न जला लेता था तब तक उसे नींद नहीं आती थी l
औरंगजेब अपने शासन के आखिरी महीनो में रोज ढाई मन जनेऊ जला कर ब्राह्मण क्षत्रिय को गुलाम बना कर अछूत(मैला चमड़ा) काम करवाता था |
आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं की ढाई मन जनेऊ एक दिन में जलाने से कितने हिन्दुओं को मारा सताया जाता होगा और कितने बड़े स्तर पर धर्म परिवर्तन किया जाता होगा, कितनी ही औरतों का शारीरिक मान मर्दन किया जाता होगा और कितने ही मन्दिरों तथा प्रतिमाओं का विध्वंस किया जाता होगा |वर्तमान के पाकिस्तान ईरान अफगानिस्तान बंग्लादेश जो भारत के अंग थे मुगलो ने अत्याचार कर धर्मपरिवर्तन करवाया था | आततायी औरंगजेब प्रतिदिन शाम में ढाई मन जनेऊ जलाते थे | जनेऊ पहनने पर यातना देते थे | इसलिए उपनयन संस्कार बंद और मैला चमड़ा के कारोबार में ब्राह्मणो वैश्यों क्षत्रियो को लगाया गया जिससे अछूत बने | हमारे वीर पूर्वज हिन्दू ( ब्राह्मण क्षत्रिय वैस्य शूद्र ) अछूत बने लेकिन धर्म नहीं त्यागा |


अरब और मुग़ल की सच्ची इतिहास की सच्चाई से अध्ययन करने पर पता चलता है| मुग़ल अपने गुलामो का धर्म परिवर्तन करवाता था | जिसे वो कनवर्टेड हिन्दू "अल हिंदी-मुस्‍कीन" कहते है अतः पाकिस्तान बंग्लादेश और भारत के मुसलमान को गुलाम कहते है |
हिन्दू वीरो ने विदेशी लूटेरे आक्रन्ता हमलावर मुगलो के दन्त खट्टे कर दिए और कभी गुलामी स्वीकार नहीं की | मुग़ल काल में बहुत सारे राज्य स्वतंत्र थे जहां मुग़ल का शाशन नहीं था |
अब सच जाने|
मुग़लकाल में भी हिन्दू स्वतंत्र और गुलाम मुसलमान बने|
हिन्दू नहीं भारत पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश के मुसलमान गुलाम थे

प्रिंस सुलेमान भारत पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश के मुसलमानों को अल हिंदी-मुस्‍कीन कहते हैं। इसका अर्थ है कि वह दोयम दर्जे के मुस्लिम हैं। अरब में यह ख्‍यालात सिर्फ प्रिंस के ही नहीं बल्कि आम लोगों के भी हैं। यहां के लोगों के लिए यह सोच बेहद सामान्‍य है। वहीं दूसरी ओर इन लोगों को सऊदी अरब में किसी भी बड़ी पोस्‍ट पर नहीं रखा जाता है। टॉप पोस्‍ट सिर्फ अरब मुस्लिमों के लिए ही सुरक्षित रखी जाती हैं।

सनातन वर्ण व्यवस्था
सनातन धर्म में गृहस्थ आश्रम में वर्ण व्यवस्था


राजा : किसी क्षेत्र देश के नेतृत्व करने वाला |
राजदरबार : मंत्री सेनापति सलाहकार पुरोहित इत्यादि
प्रजा सेवक : राज्य के देखरेख करने वाले सेवक सिपाही लेखाकार मठाधीश ग्राम तंत्र इत्यादि

प्रजा : राज्य में निवास करने वाले निवासी


सनातन धर्म में श्री हरि को पाने के लिए तपाश्रम (वानप्रस्थ) आश्रम
सनातन धर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए योग और तप का महत्व है| तप में वर्ण व्यवस्था को जाने |
स्कन्दपुराण में षोडशोपचार पूजन के अंतर्गत अष्टम उपचार में ब्रह्मा द्वारा नारद को यज्ञोपवीत के आध्यात्मिक अर्थ में बताया गया है,
जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते।
शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता।
अतः आध्यात्मिक दृष्टि से यज्ञोपवीत के बिना जन्म से ब्राह्मण भी शुद्र के समान ही होता है।शूद्र : जो साधक तप में प्रवेश करता है उसे शूद्र कहा जाता है |
इसे पैर से कमर के निचे के भाग तक माना जाता है |

वैश्य : जिसने तप में प्रवेश कर मूलाधार चक्र से सुष्मना नाडी तक जागृत कर लिया वैस्य कहलाया |
इसे कमर से हृदय तक के भाग तक माना जाता है |

क्षत्रिय : जब साधक सुष्मना नाड़ी चंद्र नाड़ी आज्ञाचक्र को जागृत कर सूर्य नाड़ी तक जागृत करने तक क्षत्रिय वर्ण कहलाता है |
हृदय से मुख के निचे के भाग तक के भाग को जागृत करने वाले को कहा गया

ब्राह्मण : जो साधक ब्रह्मरंध्र को जान जान जाता है ब्राह्मण कहलाता है |
ये मुख से लेकर ब्रह्मरंध्र तक का जागृत अवस्था है |
ऋषि महर्षि : जब साधक आत्मा रूप में प्रवेश और विचरण कर सकता है ऋषि मुनि कहलाता है|

मोक्ष : जब साधक हरि को पा लेता है मोक्ष मिल जाता है | पुनर्जन्म से बहार हो जाता है | श्री हरी में विलीन हो जाता है |
गौतम बुद्ध (महावीर), विवेकानंद, शंकराचार्य श्री रामकृष्णपरमहंस इस श्रेणी में आते हैं


SANT RAVIDAS :
Hari in everything, everything in Hari
For him who knows Hari and the sense of self,
no other testimony is needed:
the knower is absorbed.
हरि सब में व्याप्त है, सब हरि में व्याप्त है । जिसने हरि को जान लिया और आत्मज्ञान हो गया और कुछ जानने की जरूरत नही है वो हरि में व्याप्त या विलीन हो जाता है ।हरि ॐ तत्सत
राम नाम सत्य है |

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