ब्रिटेन का हिन्दू इतिहास
सामान्य व्यक्तियों को अपने दादा-पड़दादा से पूर्व के पूर्वजो के नाम ही याद नही रहते, तो उन्हें इतिहास का स्मरण कैसे होगा ? पूरे देश के इतिहास का भी वही हाल होता है ! केवल वैदिक संस्कृति में ही आरम्भ से आज तक के सारे इतिहास के सूत्र उपलब्ध है । इतिहास को पढ़ने का एक ही महत्व होता है, की पूर्व में की गयी गलतियों को ना दोहराया जाए, ओर अपने इतिहास को गौरवशाली बनाया जाये ।।
ब्रिटेन के इतिहास में रोमन, नार्मन, एंग्लो-सेक्सन आदि कई विभिन्न जातियों के लड़ाई झगड़े का अखाड़ा ही ब्रिटेन के इतिहास के रूप में पढ़ाया जाता है । एक सुसंगठित राष्ट्रीय शाशन ब्रिटेन में स्थापित हुए 500-700 वर्ष ही हुए है । उससे पूर्व के ब्रिटेन के इतिहास में केवल उथल पुथल ही भरी हुई है ।। आज तक विद्धान उस इतिहास के एक विशिष्ट सूत्र को नही पकड़ पाए है ।। ब्रिटिश लोगो की भाषा का उद्गम, उनके नगरों के नाम , उनका दर्शन शास्त्र , लोक-कथाएं, राजप्रथा, साहित्य, छन्दशास्त्र , पुरातत्व अवशेष आदि का तर्कसंगत विवरण आज तक ब्रिटिश लोग नही दे पाए है । अनेक विभिन्न आक्रमणों से आपसी लड़ाई झगड़े से बनी एक रंग-बिरंगी खिचड़ी इसी का नाम ब्रिटेन की वर्तमान संभ्यता है ।
ब्रिटेन , इंग्लैंड आदि नाम ही संस्कृत है !
आंग्ल प्रदेश का नाम ब्रिटेन क्यो पड़ा, इसका तर्कसंगत अर्थ किसी शब्दकोश में नही है । क्यो की वे लोग संस्कृत शब्दो से कोषों दूर जो हो गए । अतः इन शब्दों के अर्थ को ढूढ़ने के प्रयास में उल्टे सीधे तर्क़ लोगो के सामने प्रस्तुत करते है ।। ब्रिटेन की प्राचीन भाषा फ्रेंच थी, यह बात तो खुद इंग्लैंड के सभी इतिहासकार कहते है । उस फ्रेंच भाषा मे ब्रिटेन के लोगो को वे आंगले कहते रहे । वह आंग्ले "अंगुल " शब्द से बना है । ओर यह अंगुल शब्द इस भूमि के आकार के कारण पड़ा । ब्रिटेन को अगर हम मानचित्र में देखे, तो हाथ की एक अंगुली जैसा दिखाई पड़ता है ।। यूरोप खण्ड की भौगोलिक लंबाई-चौड़ाई का अनुमान लगाने के लिए ब्रिटेन को एक प्रामाणिक मापदंड मानकर उसका नाम " अंगुलस्थान " दिया गया ।। इसका तथ्य प्रमाण यह है कि फ्रेंच लोग ब्रिटेन को Anglo-Terr यानि " अंगुलधरा " उर्फ अंगुलभूमि अर्थात अंगुलस्थान कहते है ।।
संस्कृत में जिसे ग्रन्थि कहते है, उसे अंग्रेजी में ग्लैंड कहते है । तथा लेप यानी द्वीपस्थान को लेपस्टेण्ड कहते है । अतः संस्कृत के " अथ " या " स्थान " दोनो का स संस्कृत भाषा का अपभ्रंस अंग्रेजी भाषा मे And होता है । इसी कारण अंगुलस्थान का उच्चार अंगुलएंड होते होते - इंग्लैंड हो गया ।। अंग्रेजी भाषा का आक्सफोर्ड शब्दकोश (Oxford Dictionary ) आधिकरिक तथा प्रमाणभूत ग्रन्थ माना जाता है । Angel शब्द का अर्थ "The race of people of Angul " यानि अंगुल देश के लोगो को आंग्ल उर्फ अंगुले कहा जाता है । ऐसा साफ लिखा है ।।
ब्रिटेन में वैदिक राजप्रथा
ब्रिटेन में वैदिक क्षत्रियो का शाशन था, उनकी राजभाषा संस्कृत ही थी, इसलिए सारी परिभाषा भी राजपरिवार की संस्कृत ही है , आजतक !!
राजा जब अक्षम हो, तो शाशन करने वाले को अंग्रेजी में रीजेंट कहते है । जो स्पष्ठ रूप से राजन्त शब्द है । किंग शब्द की व्याख्या में इससे पूर्व की पोस्ट में दे चुका हूं, आप उसे पढ़ सकते है । ब्रिटिश सम्राट का अंगरक्षक दल नारंगी रंग के वस्त्र पहनते है, क्यो की यह वैदिक क्षत्रियो के वस्त्र होते थे । सम्राट को अंग्रेजी भाषा मे माजस्ती ( Majesty ) भी कहते है । यह "महाराज-अस्ति " ऐसे शब्द का अपभ्रंस है ।। अंग्रेजी भाषा मे दरबारियों को Sir ( सर ) कहते है, यह श्री का ही अपभ्रंस रुप है । जैसे "Sir roy Anderson " यह "श्री राय इन्द्रसेन" ऐसा मूल नाम है ।।
अंग्रेजी भाषा में सामान्य व्यक्तियों को "मिस्टर " सम्मानपूर्वक कहा जाता है ।जो "महास्तर" महोदय आदि शब्दो का विकृत रूप ही है ।।
ब्रिटेन का ध्वज पूर्ण रूप से वैदिक
वैदिक धारणा के अनुसार सम्राट का अधिकार दश दिशाओं में माना जाता है । ध्वज दण्ड का शिखर स्वर्ग की ओर निर्देश करता है, तथा निचला नोक पाताल का निर्देश करता है । शेष आठ दिशाएं अगर ध्वज पर अंकित हो, तो दस दिशा हो जाती है । ब्रिटेन का ध्वज उसी आठ दिशाओं का रेखांकित इस प्रकार है --- यह आप ब्रिटेन का ध्वज गूगल पर जाकर देख सकते है ।।
यूरोप में देवासुर संग्राम
अंग्रेजी राजघराने की कुर्सी के नीचे एक पटड़ी लगी हुई है । जिसपर केसरी रंग की अति-प्राचीन उबड़ खाबड़ शिला बड़े ही आदरभाव से रखी हुई है । लेकिन इसका इतिहास अज्ञात है । इस शिला को The Stone of scon यानी स्कॉन कि शिला कहते है । हो सकता है कि वह स्कंद की शिला हो । देवो के सेनापति स्कंद थे । यूरोप खण्ड में जब दैत्यवंश का राज्य था, तब देवासुर संग्राम में दैत्यों के विरुद्ध जो नाविक दल ( यानि आधुनिक navy) आया उसे स्कंदवानीय दल कहते है । उस दल ने यूरोप के दैत्यों के बंदरगाह जीतकर वहां नाकाबंदी की अतः इस उत्तरीय बंदोबस्त के समय इस प्रदेश का नाम स्कंदनावीय प्रदेश पड़ा । पूरे दैत्यों के साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया गया । दैत्यों पर क्षत्रियो की विजय हुई । दैत्यों पर क्षत्रियो की विजय के स्मृतिचिन्ह के रूप में शिला सिंहासन के नीचे रखी गयी, तब से इसे स्कंदशीला कहा जाने लगा ।। अब स्कंद की स्मृति स्कं उर्फ स्कोन के नाम से चल रही है ।।
ब्रिटिश नगरों के संस्कृत नाम
आपको यह पढ़कर बड़ा आश्चर्य होगा कि ब्रिटेन की भूमि की नदियां, नगर, गांव आदि के नाम अधिकतर सीधे संस्कृत है । जैसे क्षात्र-स्थान यानि स्कोटलेंड में CHOMOLONDELEY नाम का एक गांव वस्तुतः चोल-मंडल-आलय है । इतने सारे अक्षर वे लिख तो लेते है, किन्तु इसका उच्चारण करना उनके लिए कठिन हो जाता है, इसलिए "चमले" कहकर अपना काम चला लेते है ।।
इंग्लैंड के अनेक शहरों के आगे "कोट" लगता है । जैसे चार्लकोट , हीथकोट, नार्थकोट । इन्हें भारत के अकलकोट, बागलकोट, सिद्धकोट, अमरकोट आदि नामों से मिलाइए ! ओर Kingscoat को ठेठ संस्कृत का ही शब्द है , जैसे भारत के राजकोट का दूसरा अर्थ सिंहकोट है ।। इंग्लैंड में Ascot नाम का नगर बड़ा प्रसिद्ध है । क्यो न हो उसका नाम ही अश्वकोट है । आंग्ल भाषा मे Ass यानी गधा शब्द भी अश्व शब्द का अपभ्रंस है ।। पत्थर का कोट जैसे जैसे नगर का रक्षण करता है, वैसे ही वस्त्र का "कोट " वर्षा, धूप आदि से आपकी रक्षा करता है ।
शंकर के नाम वाले प्रदेश
इंग्लैंड में कई नगरों के नाम के आगे " शायर " ऐसे अक्षर आते है । जैसे वारविकशायर , डर्बीशायर, लंकाशायर, मन्मथशायर । इसका कारण यह है कि कभी यहां शंकर के प्रसिद्ध मंदिर हुआ करते थे । भारत मे जहां जहां शिवजी के मंदिर होते थे उनसे उन बस्तियों के नाम रामेश्वर , संगमेश्वर, ओंकारेश्वर, महाबलेश्वर आदि पड़े । उसी ईश्वर का उच्चार आंग्लभाषा मे शायर पड़ा । अतः डर्बीशायर यानि दरमेश्वर , मन्मथशायर यानी मनमेथस्वर , वारविकशायर यानी वारवीकेश्वर । ब्रिटेन के कई नगरों के नामो के अंत मे Pton अक्षर पाए जाते है , जो संस्कृत पट्टन का अपभ्रंश है । जैसे - Southampton , Northampton, Hompton इन शब्दों में साउथ यानी दक्षिणपट्टन, नार्थ यानी उत्तरपट्टन तथा Hompton यानि हेपिपट्टन । भारत मे भी हम्पी नाम का नगर है, ओर इंग्लैंड में भी ।
ब्रिटेन की नदियों के नाम भी संस्कृत
ब्रिटेन की नदियों के नाम भी संस्कृत ही है । जैसे Thamos यह संस्कृत के तमसा शब्द का अपभ्रंस है । इस नदी का पानी माटी सा, तथा ऊपर बादलो के कारण प्रकाश भी धुंधला सा यहां रहता है । अतः इसका नाम तमसा यानी अंधकार जैसी नदी पड़ना स्वाभाविक था । रामायण में भी " तमसा " नदी का जिक्र है ।
राम के नाम का भी ब्रिटेन में उल्लेख
राम नाम वैदिक संस्कृति का मुख्य चिन्ह बन गया है । तो यह नाम ब्रिटेन की भूमि पर भी लोगो मे बार बार प्रयोग होने लगा है । जैसे Ramsgate यानि रामघाट , Ramisden यानि रामस्थान , Ramford यानी नदी पार करने का रामस्थान यानी रामतीर्थ। व्यक्तियों के नामो में भी राम शब्द का अंतर्भाव है । जैसे Sir Winston Ramsay यानी रामसहाय !!
सामान्य व्यक्तियों को अपने दादा-पड़दादा से पूर्व के पूर्वजो के नाम ही याद नही रहते, तो उन्हें इतिहास का स्मरण कैसे होगा ? पूरे देश के इतिहास का भी वही हाल होता है ! केवल वैदिक संस्कृति में ही आरम्भ से आज तक के सारे इतिहास के सूत्र उपलब्ध है । इतिहास को पढ़ने का एक ही महत्व होता है, की पूर्व में की गयी गलतियों को ना दोहराया जाए, ओर अपने इतिहास को गौरवशाली बनाया जाये ।।
ब्रिटेन के इतिहास में रोमन, नार्मन, एंग्लो-सेक्सन आदि कई विभिन्न जातियों के लड़ाई झगड़े का अखाड़ा ही ब्रिटेन के इतिहास के रूप में पढ़ाया जाता है । एक सुसंगठित राष्ट्रीय शाशन ब्रिटेन में स्थापित हुए 500-700 वर्ष ही हुए है । उससे पूर्व के ब्रिटेन के इतिहास में केवल उथल पुथल ही भरी हुई है ।। आज तक विद्धान उस इतिहास के एक विशिष्ट सूत्र को नही पकड़ पाए है ।। ब्रिटिश लोगो की भाषा का उद्गम, उनके नगरों के नाम , उनका दर्शन शास्त्र , लोक-कथाएं, राजप्रथा, साहित्य, छन्दशास्त्र , पुरातत्व अवशेष आदि का तर्कसंगत विवरण आज तक ब्रिटिश लोग नही दे पाए है । अनेक विभिन्न आक्रमणों से आपसी लड़ाई झगड़े से बनी एक रंग-बिरंगी खिचड़ी इसी का नाम ब्रिटेन की वर्तमान संभ्यता है ।
ब्रिटेन , इंग्लैंड आदि नाम ही संस्कृत है !
आंग्ल प्रदेश का नाम ब्रिटेन क्यो पड़ा, इसका तर्कसंगत अर्थ किसी शब्दकोश में नही है । क्यो की वे लोग संस्कृत शब्दो से कोषों दूर जो हो गए । अतः इन शब्दों के अर्थ को ढूढ़ने के प्रयास में उल्टे सीधे तर्क़ लोगो के सामने प्रस्तुत करते है ।। ब्रिटेन की प्राचीन भाषा फ्रेंच थी, यह बात तो खुद इंग्लैंड के सभी इतिहासकार कहते है । उस फ्रेंच भाषा मे ब्रिटेन के लोगो को वे आंगले कहते रहे । वह आंग्ले "अंगुल " शब्द से बना है । ओर यह अंगुल शब्द इस भूमि के आकार के कारण पड़ा । ब्रिटेन को अगर हम मानचित्र में देखे, तो हाथ की एक अंगुली जैसा दिखाई पड़ता है ।। यूरोप खण्ड की भौगोलिक लंबाई-चौड़ाई का अनुमान लगाने के लिए ब्रिटेन को एक प्रामाणिक मापदंड मानकर उसका नाम " अंगुलस्थान " दिया गया ।। इसका तथ्य प्रमाण यह है कि फ्रेंच लोग ब्रिटेन को Anglo-Terr यानि " अंगुलधरा " उर्फ अंगुलभूमि अर्थात अंगुलस्थान कहते है ।।
संस्कृत में जिसे ग्रन्थि कहते है, उसे अंग्रेजी में ग्लैंड कहते है । तथा लेप यानी द्वीपस्थान को लेपस्टेण्ड कहते है । अतः संस्कृत के " अथ " या " स्थान " दोनो का स संस्कृत भाषा का अपभ्रंस अंग्रेजी भाषा मे And होता है । इसी कारण अंगुलस्थान का उच्चार अंगुलएंड होते होते - इंग्लैंड हो गया ।। अंग्रेजी भाषा का आक्सफोर्ड शब्दकोश (Oxford Dictionary ) आधिकरिक तथा प्रमाणभूत ग्रन्थ माना जाता है । Angel शब्द का अर्थ "The race of people of Angul " यानि अंगुल देश के लोगो को आंग्ल उर्फ अंगुले कहा जाता है । ऐसा साफ लिखा है ।।
ब्रिटेन में वैदिक राजप्रथा
ब्रिटेन में वैदिक क्षत्रियो का शाशन था, उनकी राजभाषा संस्कृत ही थी, इसलिए सारी परिभाषा भी राजपरिवार की संस्कृत ही है , आजतक !!
राजा जब अक्षम हो, तो शाशन करने वाले को अंग्रेजी में रीजेंट कहते है । जो स्पष्ठ रूप से राजन्त शब्द है । किंग शब्द की व्याख्या में इससे पूर्व की पोस्ट में दे चुका हूं, आप उसे पढ़ सकते है । ब्रिटिश सम्राट का अंगरक्षक दल नारंगी रंग के वस्त्र पहनते है, क्यो की यह वैदिक क्षत्रियो के वस्त्र होते थे । सम्राट को अंग्रेजी भाषा मे माजस्ती ( Majesty ) भी कहते है । यह "महाराज-अस्ति " ऐसे शब्द का अपभ्रंस है ।। अंग्रेजी भाषा मे दरबारियों को Sir ( सर ) कहते है, यह श्री का ही अपभ्रंस रुप है । जैसे "Sir roy Anderson " यह "श्री राय इन्द्रसेन" ऐसा मूल नाम है ।।
अंग्रेजी भाषा में सामान्य व्यक्तियों को "मिस्टर " सम्मानपूर्वक कहा जाता है ।जो "महास्तर" महोदय आदि शब्दो का विकृत रूप ही है ।।
ब्रिटेन का ध्वज पूर्ण रूप से वैदिक
वैदिक धारणा के अनुसार सम्राट का अधिकार दश दिशाओं में माना जाता है । ध्वज दण्ड का शिखर स्वर्ग की ओर निर्देश करता है, तथा निचला नोक पाताल का निर्देश करता है । शेष आठ दिशाएं अगर ध्वज पर अंकित हो, तो दस दिशा हो जाती है । ब्रिटेन का ध्वज उसी आठ दिशाओं का रेखांकित इस प्रकार है --- यह आप ब्रिटेन का ध्वज गूगल पर जाकर देख सकते है ।।
यूरोप में देवासुर संग्राम
अंग्रेजी राजघराने की कुर्सी के नीचे एक पटड़ी लगी हुई है । जिसपर केसरी रंग की अति-प्राचीन उबड़ खाबड़ शिला बड़े ही आदरभाव से रखी हुई है । लेकिन इसका इतिहास अज्ञात है । इस शिला को The Stone of scon यानी स्कॉन कि शिला कहते है । हो सकता है कि वह स्कंद की शिला हो । देवो के सेनापति स्कंद थे । यूरोप खण्ड में जब दैत्यवंश का राज्य था, तब देवासुर संग्राम में दैत्यों के विरुद्ध जो नाविक दल ( यानि आधुनिक navy) आया उसे स्कंदवानीय दल कहते है । उस दल ने यूरोप के दैत्यों के बंदरगाह जीतकर वहां नाकाबंदी की अतः इस उत्तरीय बंदोबस्त के समय इस प्रदेश का नाम स्कंदनावीय प्रदेश पड़ा । पूरे दैत्यों के साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया गया । दैत्यों पर क्षत्रियो की विजय हुई । दैत्यों पर क्षत्रियो की विजय के स्मृतिचिन्ह के रूप में शिला सिंहासन के नीचे रखी गयी, तब से इसे स्कंदशीला कहा जाने लगा ।। अब स्कंद की स्मृति स्कं उर्फ स्कोन के नाम से चल रही है ।।
ब्रिटिश नगरों के संस्कृत नाम
आपको यह पढ़कर बड़ा आश्चर्य होगा कि ब्रिटेन की भूमि की नदियां, नगर, गांव आदि के नाम अधिकतर सीधे संस्कृत है । जैसे क्षात्र-स्थान यानि स्कोटलेंड में CHOMOLONDELEY नाम का एक गांव वस्तुतः चोल-मंडल-आलय है । इतने सारे अक्षर वे लिख तो लेते है, किन्तु इसका उच्चारण करना उनके लिए कठिन हो जाता है, इसलिए "चमले" कहकर अपना काम चला लेते है ।।
इंग्लैंड के अनेक शहरों के आगे "कोट" लगता है । जैसे चार्लकोट , हीथकोट, नार्थकोट । इन्हें भारत के अकलकोट, बागलकोट, सिद्धकोट, अमरकोट आदि नामों से मिलाइए ! ओर Kingscoat को ठेठ संस्कृत का ही शब्द है , जैसे भारत के राजकोट का दूसरा अर्थ सिंहकोट है ।। इंग्लैंड में Ascot नाम का नगर बड़ा प्रसिद्ध है । क्यो न हो उसका नाम ही अश्वकोट है । आंग्ल भाषा मे Ass यानी गधा शब्द भी अश्व शब्द का अपभ्रंस है ।। पत्थर का कोट जैसे जैसे नगर का रक्षण करता है, वैसे ही वस्त्र का "कोट " वर्षा, धूप आदि से आपकी रक्षा करता है ।
शंकर के नाम वाले प्रदेश
इंग्लैंड में कई नगरों के नाम के आगे " शायर " ऐसे अक्षर आते है । जैसे वारविकशायर , डर्बीशायर, लंकाशायर, मन्मथशायर । इसका कारण यह है कि कभी यहां शंकर के प्रसिद्ध मंदिर हुआ करते थे । भारत मे जहां जहां शिवजी के मंदिर होते थे उनसे उन बस्तियों के नाम रामेश्वर , संगमेश्वर, ओंकारेश्वर, महाबलेश्वर आदि पड़े । उसी ईश्वर का उच्चार आंग्लभाषा मे शायर पड़ा । अतः डर्बीशायर यानि दरमेश्वर , मन्मथशायर यानी मनमेथस्वर , वारविकशायर यानी वारवीकेश्वर । ब्रिटेन के कई नगरों के नामो के अंत मे Pton अक्षर पाए जाते है , जो संस्कृत पट्टन का अपभ्रंश है । जैसे - Southampton , Northampton, Hompton इन शब्दों में साउथ यानी दक्षिणपट्टन, नार्थ यानी उत्तरपट्टन तथा Hompton यानि हेपिपट्टन । भारत मे भी हम्पी नाम का नगर है, ओर इंग्लैंड में भी ।
ब्रिटेन की नदियों के नाम भी संस्कृत
ब्रिटेन की नदियों के नाम भी संस्कृत ही है । जैसे Thamos यह संस्कृत के तमसा शब्द का अपभ्रंस है । इस नदी का पानी माटी सा, तथा ऊपर बादलो के कारण प्रकाश भी धुंधला सा यहां रहता है । अतः इसका नाम तमसा यानी अंधकार जैसी नदी पड़ना स्वाभाविक था । रामायण में भी " तमसा " नदी का जिक्र है ।
राम के नाम का भी ब्रिटेन में उल्लेख
राम नाम वैदिक संस्कृति का मुख्य चिन्ह बन गया है । तो यह नाम ब्रिटेन की भूमि पर भी लोगो मे बार बार प्रयोग होने लगा है । जैसे Ramsgate यानि रामघाट , Ramisden यानि रामस्थान , Ramford यानी नदी पार करने का रामस्थान यानी रामतीर्थ। व्यक्तियों के नामो में भी राम शब्द का अंतर्भाव है । जैसे Sir Winston Ramsay यानी रामसहाय !!
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