Monday, 17 July 2017

क्या द्रविड़ भी आर्य है ? हाँ

भारत के दक्षिणी भाग में रहने वाले कन्नड़ी , तेलगु, ओर मलयाली लोगो को द्रविड़ कहा जाता है । यूरोपीय ईसाई लोगो ने ऐसा भरम फैला रखा है की आर्य कोई गौरवर्णीय लोगो की जाति थी , जो भारत मे आक्रमक बनकर आयी,
ओर उसने उत्तरभारत में रहने वाले श्यामवर्णीय लोगो द्रविड़ो को खदेड़कर कन्याकुमारी की दिशा में जाकर दक्षिणभारत में बसने पर विवश कर दिया । यह एक बड़ा भरम है ।।

आर्य किसी जाति विशेष का नाम नही ! वह तो एक संस्कृति या समाज की एक विशेषता है। उसे मानकर नियमानुसार जीवन व्यतीत करने वाले सारे आर्यधर्मी , या वैदिक प्रणाली के सनातनधर्मी या हिन्दू कहलाते है ।। उदारहण जो वेदपठन , उपनिषदों का दार्शनिक ज्ञान, महाभारत- रामायण गौ-पूजन कर्म , आदि में श्रद्धा रखते है, उन्हें आर्य कहा जाता है। हमारे द्रविड़ तो पूर्णतया आर्यधर्मी होते है । लेकिन पाश्चत्य गोर ईसाई धर्मियो अज्ञानतावश कुटिल हेतु ऐसा ढोल पिटा की आर्य नाम की एक जाति थी , जिसने द्रविड़ो से छल किया । वर्तमान में भी यही देशतोड़ू इतिहास पढ़ाया जाता है ।।
हिन्दू ऐसी पुस्तको ओर ऐसे लोगो से सावधान रहें । हब्सी, मंगोल, आदि किसी भी जाति का मनुष्य यदि वैदिक समाज पद्धति के अनुसार जीवन यापन करें, तो वह व्यक्ति आर्यधर्मी कहलाता है ।। भारत के द्रविड़ तो पूरे के पूरे कर्मठ आर्यधर्मी है, ना कि आर्य धर्म के शत्रु या विरोधके । ओर तो ओर सारे विश्व मे आर्यधर्म का अधीक्षक , निरीक्षण, व्यवस्थापन करने वाला वर्ग द्रविड़ कहलाता है ।। "द्र" यानी - दृष्टा ओर विर यानी " जानने वाला या ज्ञानी ऋषि-मुनि ।।

यह द्रविड़ लोग भारत ही नही, बल्कि सारे विश्व मे यही भूमिका निभाते है। अतः यूरोप में भी द्रविड़ लोग थे । उन्हें ड्र्यूड Druids कहा जाता है। प्रदेश और भाषा भिन्नता के कारण उन्हें Druids कहा जाता है। लेकिन वास्तव में दोनो की भूमिका एक ही थी । दोनो वैदिक समाज के अधीक्षक, मार्गदर्शक, व्यवस्थापक थे । अतः आर्य ओर द्रविड़ दोनो एक ही है ।।

No comments:

Post a Comment