Thursday, 20 July 2017

महावीर स्वामी के शिष्य गणधर ही बुद्ध


आदिनाथ पुराण में आया है :-
" चतुर्भिश्रचमलेर्बोधैरबुद्धतस्व जगद यत:| प्रज्ञापारमित बुद्ध त्वा निराहुरतो बुधा:"
(दितीय पर्व श्लोक ५५ )
हे देव आपने ४ निर्मल ज्ञानो (४ आर्य सत्य ) के द्वारा संसार को जान लिया है तथा आप बुद्धि के पार को प्राप्त हुए है इसलिए संसार आपको बुद्ध कहता है
जैन आदिपुराण में
आया है :-
"गौतमदागतो देव: स्वर्गाग्रद गौतमो मत ,तेन प्रोक्तमधीनस्त्व चासो गौतामश्रुति "(दितीय पर्व श्लोक ५३ )
अर्थात महावीर स्वामी १६ वे स्वर्ग से
अवतरित हुए इसलिए उन्हें गौतम कहते है और
गौतम की वाणी सुनने से आप का भी नाम गौतम है ,,,
अर्थात गोतम की वाणी सुनने वाला भी गोतम है और स्वयं गोतम भी गोतम है
गौतम बुद्ध जन्म - ५६३ ईशा पूर्व
सिद्धार्थ बुद्ध - १८८७ ईशा पूर्व
मैं पुराणों में वर्णित गौतम बुद्ध के जन्म काल को मानता हु जो कि है 1800 ईसापूर्व ।
अब यही सच आपके समझने के लिए काफी होना चाहिए, की गौतम बुद्ध विष्णु के अवतार नही है । और जो विष्णु के अवतार सिद्धार्थ है , उनके जन्म और गौतम बुद्ध के जन्म में कितना फर्क है ।।
भारतीय इतिहास के शोध में यह एक भयंकर भूल है । क्यो की यह सिद्ध करने के प्रबल साक्ष्य है कि भगवान विष्णु के अवतार सिद्धार्थ का जन्म १८८७ में हुआ । इसका अर्थ यह हुआ कि जिस गौतम को विष्णु का अवतार आज तक भीमटे मानते आए है, वो मात्र एक साधरण सन्यासी था, वो भी भटका हुआ । दोनो के बीच का अंतराल ही 1300 वर्षो का है ।
फिर प्रश्न उठता है, की भारत के इतिहास में इतनी भयंकर भूल कैसे हुई? तो इसका जवाब है कि भारत 1000 साल विदेशियों के गुलाम तो रहा है, साथ मे आजादी के बाद भी विश्वासघाती कांग्रेस और अन्य वामपंथी गद्दार यही रह गए, ओर वे ही इस देश के भाग्य निर्माता बन बेठे ।।
अंग्रेज लोगो को मानव सृष्टि के सम्बंध में बहुत अल्पज्ञान था , वे सोचते थे कि पृथ्वी को बने केवल कुछ हजार वर्ष ही तो हुए है । इसी प्रकार उन्होंने कल्पना कर दी कि भारतीय इतिहास भी 4-5 हजार वर्षों से अधिक पुराना नही । ओर उन्होंने इतिहास की हर घटना को तोड़ मरोड़ दिया ।।
नेपाल में लुम्बिनी में 2013 में पुरातत्वविदो को एक छोटा मंदिर मिला है जिसकी छत नहीं थी और उसके मध्य में बोधि वृक्ष था ।
पुरातत्वविदो के अनुसार कार्बन डेटिंग से उस मंदिर के निर्माण का काल 550 ईसापूर्व आया है ,यानि की विश्व का सबसे प्राचीन बोध मंदिर ।माना जाता था की पुरे भारतीय उप महाद्वीप पर बोद्ध मंदिर और मठो का निर्माण गौतम बुद्ध की मृत्यु के बाद बने थे ।
अजातशत्रु और सम्राट अशोक ने गौतम बुद्ध के निर्वाण प्राप्ति के बाद कई मंदिर बनवाये थे और गुप्त राजाओ ने भी इसमें अपना योगदान दिया था ।मध्यधारा के इतिहासकार मानते है कि 480 ईसापूर्व में गौतम बुद्ध जन्मे थे और कुछ के अनुसार 560 ईसापूर्व ।पर यदि उस मंदिर का काल 550 ईसापूर्व है तो या तो वह मंदिर गौतम बुद्ध के जीवित रहते बना या फिर उनकी मृत्यु के बाद ।
बोद्ध ग्रंथो के अनुसार तो बोद्ध मंदिर और मठ तो गौतम बुद्ध की मृत्यु के बाद हुआ और यह मैं पहले ही बता चूका हु यानि कि गौतम बुद्ध जन्मे होंगे 630 ईसापूर्व में । गौतम बुद्ध 80 वर्ष जिए तो यदि उनकी मृत्यु 550 ईसापूर्व के आस पास हुई तो 550+80 होगा 630 ।


गौतम बुद्धत्व अवस्था, महावीर से पाए गए ज्ञान को गणधर ने शिक्षा के रूप में सहेज दिया |भगवान् महावीर के शिष्य गणधर ( गौतम बुद्ध अवस्था प्राप्त ) की शिक्षा को वीरनाथ ने बुद्धत्व के प्रचार के लिए उपयोग किया | वीरनाथ ने भगवान् महावीर को गौतम बुद्ध के रूप में स्थापित किया | जिसमे उन्होंने महावीर के परम शिष्य गणधर का ज्ञान, धर्म, बुद्धत्व मार्ग की शिक्षा का प्रसार किया | जिससे गौतम बुद्धत्व प्राप्त हो सके | अतः इस प्रकार भगवान् महावीर को गौतम बुद्ध के रूप में जाना गया |
अतः इसप्रकार से भगवान् महावीर ने गौतम बुद्ध के रूप में ख्याति पायी |

नमोस्त्वनन्ताय सहस्रमूर्तये सहस्रपादाक्षि शिरोरुबाहवे
सहस्रनाम्ने पुरुषाय शाश्वते सहस्रकोटि युग धारिणे नमः |
मुकंकरोति वाचालं पंगुंलंघयते गिरीम्
यत्कृपा त्वमहम् वन्दे परमानन्द माधवम्

SANT RAVIDAS :
Hari in everything, everything in Hari
For him who knows Hari and the sense of self,
no other testimony is needed the knower is absorbed.
हरि सब में व्याप्त है, सब हरि में व्याप्त है । जिसने हरि को जान लिया और आत्मज्ञान हो गया और कुछ जानने की जरूरत नही है वो हरि में व्याप्त या विलीन हो जाता है ।
ज्ञातव्य :ये तथ्यों पर आधारित लेख है | शिव ही जाने सत्य क्या है |
हरि ॐ तत्सत |

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