ब्राह्मण

: ऊँ :

ब्राह्मण सम्राट पुष्यमित्र शुंग

#जिस_माथे_पर_तिलक_ना_दिखा_वो_सिर_धड़_से_अलग_कर_दिया_जाएगा

 --- पुष्यमित्र शुंग
ब्राह्मण निर्धन होगा तो बनेगा
" सुदामा "
ब्राह्मण कवि होगा तो बनेगा
" विद्यापति "
फिर एक दिन "साक्षात् महादेव" उसकी
सेवा करेंगे !
ब्राह्मण गुरु होगा तो बनेगा
" बृहस्पति "
फिर एक दिन "सब देवता " उसकी

सेवा करेंगे !
ब्राह्मण राक्षस गुरु होगा तो बनेगा
"शुक्राचार्य "
फिर एक दिन "सब राक्षस" उसकी


सेवा करेंगे !

ब्राह्मण मुनि होगा तो बनेगा
"वाल्मीकि"
फिर एक दिन "साक्षात् राम " उसकी
वंदना करेंगे !
ब्राह्मण पुरोहित होगा तो बनेगा
"वशिष्ठ संदीपन"
फिर एक दिन "साक्षात् राम श्री कृष्ण " उसकी
वंदना करेंगे !
ब्राह्मण भविष्य देखेगा तो बनेगा
"वेद व्यास"
फिर एक दिन " जगत  " उसकी
वंदना करेंगे !
ब्राह्मण अपमानित होगा तो बनेगा
" चाणक्य "
फिर एक दिन नये राज्य कि
स्थापना कर देगा !
ब्राह्मण सठिया जायेगा तो बनेगा
" परशुराम "
फिर एकदिन पापियों का विनाश
कर देगा !
ब्राह्मण पढ़ेगा तो बन जायेगा
" आर्यभट्ट "

फिर एक दिन पुरे विश्व को
0 ( ZERO ) दे जायेगा !

ब्राह्मण जब वेद धर्म का विनाश
देखेगा तो बन जायेगा
" आदि शँकराचार्य "
फिर एक दिन वैदिक धर्म कि
स्थापना कर देगा !
ब्राह्मण जब लोगों को बीमार
देखेगा तो बन जायेगा
" चरक "
फिर एक दिन पुरे विश्व को
आर्युवेद दे जायेगा !

ब्राह्मण राजनीती करेगा तो बन जायेगा
"अटल आडवाणी"

कांग्रेस की नींव हिला देगा
ब्राह्मण ने हमेशा अपने ज्ञानके
प्रकाश से विश्व को प्रकाशित किया !
सतसत प्रणाम है
ब्राह्मण समाज को ...............
कुछ बात है कि हस्ती
मिटती नही हमारी
Dedicated 2 All Brahmans
ब्राह्मण धर्म
वेद
ब्राह्मण कर्म
गायत्री
ब्राह्मण जीवन
त्याग
ब्राह्मण मित्र
सुदामा
ब्राह्मण क्रोध
परशुराम
ब्राह्मण त्याग
ऋषि दधिची
ब्राह्मण राज
बाजीराव पेशवा
ब्राह्मण प्रतिज्ञा
चाणक्य
ब्राह्मण बलिदान
मंगल पाण्डेय
चन्द्र शेखर आज़ाद
ब्राह्मण भक्ति
रावण
ब्राह्मण ज्ञान
आदि गुरु शंकराचार्य
ब्राह्मण सुधारक
महर्षि दयानंद
ब्राह्मण राजनीतिज्ञ
कोटिल्य
 ब्राह्मण विज्ञान
👉 आर्यभट
 ब्राह्मण गणितज्ञ
👉 रामानुजम
 ब्राह्मण खिलाड़ी
👉 सचिन तेंदुलकर
👳 👳 👳 👳 👳
👆 कर्म से : धर्म से : दान से :
: ज्ञान से : विज्ञान से :
👆 नाम से : जीवन से : मृत्यु से :
: भक्ति से : शक्ति से : मुक्ति से :
:आत्मा से : परमात्मा से :
: मूल्यों से : संस्कारो से : बल से :
: बुद्धि से : कौशल से : सम्मान से
👇
 विश्वास से ब्राह्मण बनना
आरम्भ करिए तभी अपने पूर्वजों
के किये गौरवशाली कार्यों पर
आप गर्व कर पाएँगे 👆
💥 ब्राह्मण महिमा 💥
 ब्राह्मण : ब्रह्मा के मुख से
उत्पन्न सर्वोच्च वर्ण 
१ ब्राह्मण का जन्म :
 भगवान् विष्णु का अंश अवतार
२ ब्राह्मण की विद्या :
 ज्ञान का अथाह सागर !
३ ब्राह्मण की बुद्धि :
 समस्त समस्याओं का समाधान
४ ब्राह्मण की वाणी :
 वेद का ज्ञान !
५ ब्राह्मण की शिक्षा :
 जीवन जीने की कला !
६ ब्राह्मण की दृष्टी :
 समभाव !
७ ब्राह्मण की शिखा :
 संकल्पों का समूह !
८ ब्राह्मण की दया :
 संकटों का हरण !
९ ब्राह्मण की कृपा :
 भवसागर से तरने का साधन
१० ब्राह्मण का कर्म :
 सर्व जन हिताय !
११ ब्राह्मण का निवास :
 देवालय !
१२ ब्राह्मण के दर्शन :
 सर्वमंगल !
१३ ब्राह्मण का आशीर्वाद :
 समस्त सुखों : वैभवों की प्राप्ति !
१४ ब्राह्मण की सेवा :
 परलोक सुधारना !
१५ ब्राह्मण का वरदान :
 मोक्ष की प्राप्ति !
१६ ब्राह्मण का अस्त्र :
 श्राप !
१७ ब्राह्मण का शस्त्र :
कलम !
१८ ब्राह्मण को दान :
 सहस्त्रों पापों से मुक्ति !
१९ ब्राह्मण को दक्षिणा :
 सात पीढ़ी का उद्धार !
२० ब्राह्मण की संतुष्टी :
 सभी भयों से मुक्ति !
२१ ब्राह्मण की हुँकार :
 राजा 👑 महाराजाओं का
चरणागत 👣 🙌 होना !
२२ ब्राह्मण की गर्जना :
 सर्व भूतों का संहार !
२३ ब्राह्मण का कोप :
 सर्वनाश !
२४ सर्व ब्राह्मण की एकता :
 सर्व शक्तिमान !
👐 जय महाकाल ... 🚩🚩🚩
👐 जय परशुराम ... 🚩🚩🚩
🙏
Proud of Being a ब्राह्मण 🙏

कुछ मित्रो को ब्राह्मण का अर्थ जानने का बड़ा चस्का है, वे ब्राह्मण का अर्थ नही जानना चाहते, दरअसल ब्राह्मण को नीचा दिखाना, अपना परमकर्तव्य समझ बेठे है, एक तरफ तो कहते है कि जातिवाद बुरा है , दूसरी ओर ही कहने लग जाते है, कोई भी अपने कर्मो से ब्राह्मण बन ताकत है । अगर कर्मो की बात जानते ही हो, तो जातिवाद का रोना काहे करते हो ?
ऐसे ही कुछ मानसिक रोगियों को जवाब देना जरूरी हो गया है ----

किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर को वैदिक प्रणाली में ब्राह्मण कहा गया है । किसी भी कुल में जन्मा व्यक्ति मनु महाराज की उक्ति के अनुसार निजी योग्यता बढ़ाते बढ़ाते ब्राह्मण पद तक पहुंच सकता था । यदि वह -
निष्पाप ओर शुद्धाचारणी जीवन व्यक्ति करता है ।
अध्यनन , त्याग और निष्ठा से जीवन यापन करता है ।
स्वतंत्र जीविका उपार्जन करता है ।
अतः मनुमहाराज कहते है -
अस्मद्देशप्रसुतस्य सकाशात अगर्जन्मनः
स्वम् स्वम् चरित्रम शिक्षरेनम पृथ्वीव्या सर्वमानवा
इस देश मे तैयार किये गए ब्राह्मणो से विश्व के सारे मानव आदर्श जीवन सीखे ।


भीमटो का रोना है, की हम ब्रह्म के पांव से पैदा हुए , ओर ब्राह्मण मुख से, इसलिए भगवान ने ही हमारे साथ भेदभाव किया !!

अरे ओ निरामूर्खो !! सबसे ज़्यादा गंदगी मुख में होती है ! या पांव में ! पांव में तो केवल धूल ,मिट्टी आदि लगती है । लेकिन मुँह में ही कफ, थूक आदि आते है , उल्टियां भी मुँह से ही होती है । भगवान ने तो तुम्हारे ओर ज़्यादा सहूलियत दी ! तुम्हे पांव यानी सनातन समाज की नींव समझा !

तुम्हे पता भी है, मनुस्मृति में ब्राह्मण के लिए क्या प्रावधान है ? ब्राह्मण एक रुपये का धन नही रख सकता !! इसी कारण उसे कपड़े लत्ते दान देने की परंपरा बन गयी ! वैश्य के लिए व्यापार में कड़े नियम थे ! मुनाफे करने की उसकी निश्चित सीमा होती थी ! क्षत्रिय के लिए तो इतना कड़ा नियम था, की एक वचन टूटने का उसका दण्ड अग्नि में समाधि लेकर खुद को भस्म करना था ।


लेकिन तुम्हारे लिए कोई नियम कानून नही था !! आजाद जीवन जीने की आजादी तुम्हे थी! इसका कारण यह था कि तुम समाज के लिए बहुत मेहनत करते थे । मनुस्मृति तुम्हारी कमाई नही देखती थी, भले ही ज़्यादा कमाओ! लेकिन तुम्हारी मेहनत का उसे ज़रूर ख्याल होता ।।

मनुस्मृति में नारी ओर शुद्र को " पपश्य "कहा गया है । जिसका अर्थ तुम " पाप " लगाकर खुद को बेज्जती करते हो । जबकि पपश्य का संस्कृत अर्थ होता है " सबसे ज़्यादा जिम्मेदार " । अब स्त्री और शूद्र से ज़्यादा जिम्मेदार कौन होगा ! स्त्रियां घर के काम से हर समय व्यस्त रहती है, ओर शुद्र समाज के काम मे ! जैसे स्त्री को घर की चाबी देकर अप्रत्यक्ष रूप से घर का शाशक बना दिया जाता है, उसी तरह तुम पर कोई पांबदी ना लगाकर, तुम्हे समाज का राजा बना दिया !!

आखिर किस बात का रोना रोते हो !! सिर्फ एक बोतल दारू ओर एक अनाज की बारी के चक्कर मे अपना धर्म भुल जा रहे हो ?

अतः ब्राह्मण कोई मुहर नही थी, ओर ना ही ऐशो आराम का जीवन बिताने का दाखला । अपितु केवल सेवाभाव से अपने आप को बिना वेतन दीर्धकाल तक सेवा भाव मे खुद को जुटा लेना ही ब्राह्मणत्व कहलाता । यधपि शुद्र ऊपर का कहा कड़ा आध्यात्मिक आचार नही रखते थे, किन्तु उन्हें भी अन्य मनुष्य की भांति प्रातः 5 बजे जाग जाना तथा निष्ठा तथा संयम से निजी कर्तव्य निभाना यह नियम लागू थे ।
वर्णों के ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य आदि वर्गस्तर वैदिक संस्कृति के हर क्षेत्र में उपयोग होते थे । जैसे पशु , धातु, पत्थर आदि भी शुद्र, या ब्राह्मण स्तर आदि के कहलाते । अपने अपने क्षेत्र में कर्तव्यनिष्ठ रहने से ही इंद्रलोक में पुण्य ओर परलोक में मुक्ति प्राप्त होती है । इन वैदिक सिखलाई के कारण सामाजिक सीमाओं का उल्लंघन करने का विचार किसी के मन मे आता ही नही था ।।

ओर एक बात --- मनुस्मृति या वेद तुम्हे ब्राह्मण यानी तुम्हारी ही भाषा मे कहूँ तो "शोषक " बना सकते थे, लेकिन यह संविधान तुम्हे हमेशा दलित रखेगा ।। कभी तुम्हे ऊपर नही उठने देगा ।
ओर सुनो - यह मनुस्मृति ब्राह्मणो ने नही, एक ठाकुर ने लिखी थी, नाम था उनका मनुमहाराज !!
नोट:- ब्राम्हण कोई जाति नही बल्कि योग्यता है
हर वो व्यक्ति जो अपने ज्ञान से ब्रम्ह को प्राप्त करता है वो ब्राम्हण है...


No comments:

Post a Comment