ब्रह्मनत्व का जीता जागता उदाहरण
"आज़ाद ही जन्म लिया था ..आज़ाद ही मरूंगा ..."
चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्मदिवश पर विशेष .....
भारत की पुण्यभूमि पर अनेक वीर पुत्रो ने जन्म लिया ..पर ये वीरपुत्र कुछ अनोखा ही था .. विद्रोही , ब्रह्मचारी , साहसी,धार्मिक और प्रखर राष्ट्रभक्त , . बचपन में ही घर छोड़ को भाग गये जीवन पर्यंत तक बाहर ही रहे
शिखा सूत्र और मूंछ जिसकी पहचान थी ....गीता के प्रत्येक श्लोक जिसे कण्ठाग्र थे ... वो बनारस का गंगा घाट ही था जहां वो अपने मित्रों को गीता के श्लोक सुनाया करते थे ... कमजोड़ लोगो के रक्षक और शरीर से इतने मजबूत की किसी को भी मल्ल युद्ध मे पछाड़ दे ...
हिंदुस्तान शोसलिस्ट repulic के संस्थापक और कई क्रांतिकारी संगठनो मे मुखर भूमिका निभाना और कई आंदोलनों में बड़ी भूमिका थी .. भगत सिंह ,राजगुरु,सुखदेव,अशफाकुल्ला ,बिस्मिल जिनके प्रिय साथी थे ..... आज़ाद कर नेतृत्व में ही कई योजना बनी और इसपर कार्य हुआ ...
आज़ाद के जीवन को कोई सही से नही जानता .. वो अपना परिचय और कार्य अधिकतर समय गुप्त ही रखते थे ... कई बार इन्हें वेश बदलकर घूमने का भी आदत था ..जिस कारण इन्हें आसानी से नही पकड़ा जा पाया ..
अल्फ्रेड पार्क में बैठे होने के समय... किसी के द्वारा अंग्रेजी सरकार को सूचना मिलने पर .. उन्होंने पूरे पार्क को सैकड़ो सैनिकों के साथ घेर लिया ... आज़ाद ने डटकर सामना किया पर.... अंत मे जब मात्र एक गोली बची तो अन्य मार्ग न देखकर ... उन्होंने स्वयं को गोली मार ली ... इनका खौफ इतना था कि इनके शव पर गोली मारकर पहले मृत होने की पुष्टि हुई
इतिहास
ब्राह्मण धर्म – वेद
ब्राह्मण कर्म – गायत्री
ब्राह्मण जीवन – त्याग
ब्राह्मण मित्र – सुदामा
ब्राह्मण क्रोध – परशुराम
ब्राह्मण त्याग – ऋषि दधिची
ब्राह्मण राज – बाजीराव पेशवा
एक सीरियाई महमूद मुर्सी के लिए सहानुभूति की गंगा जमुना हफ़्तों महीनों मिडिया में बह निकलती है पर जब काश्मीर में पण्डितो के अबोध बच्चों का कत्ल कर बाहर बिजली के तारों पर सूखा दिया गया था तो इन्ही हरामजादों के मुंह में ताला जड़ गया!!
भारत में आप मनुवाद और ब्राह्मणवाद कह के कुछ भी कह सकते है कोई कुछ नहीं कहने वाला नहीं यूपी और बिहार में, ब्राह्मणों के इज्जत के साथ खेला जाता है सरकार चुप रहती है उन गुंडों पर कोई करवाई नहीं होता किन्तु यदि ब्राह्मण आपने आत्म रक्षा में सस्त्र या शब्द उठा के बोल दे तो उन्हें जेल में डाल दिया जाता है
दलित और बुद्धिजीवी लोग तर्क देते है ब्राह्मणों ने बहुत अत्यचार किया है जब की राज मुग़ल और अंग्रेज किये है तो अत्यचार ब्राह्मण कैसे कर लिए प्रश्न बहुत कठिन बनते जा रहा है
"आज़ाद ही जन्म लिया था ..आज़ाद ही मरूंगा ..."
चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्मदिवश पर विशेष .....
भारत की पुण्यभूमि पर अनेक वीर पुत्रो ने जन्म लिया ..पर ये वीरपुत्र कुछ अनोखा ही था .. विद्रोही , ब्रह्मचारी , साहसी,धार्मिक और प्रखर राष्ट्रभक्त , . बचपन में ही घर छोड़ को भाग गये जीवन पर्यंत तक बाहर ही रहे
शिखा सूत्र और मूंछ जिसकी पहचान थी ....गीता के प्रत्येक श्लोक जिसे कण्ठाग्र थे ... वो बनारस का गंगा घाट ही था जहां वो अपने मित्रों को गीता के श्लोक सुनाया करते थे ... कमजोड़ लोगो के रक्षक और शरीर से इतने मजबूत की किसी को भी मल्ल युद्ध मे पछाड़ दे ...
हिंदुस्तान शोसलिस्ट repulic के संस्थापक और कई क्रांतिकारी संगठनो मे मुखर भूमिका निभाना और कई आंदोलनों में बड़ी भूमिका थी .. भगत सिंह ,राजगुरु,सुखदेव,अशफाकुल्ला ,बिस्मिल जिनके प्रिय साथी थे ..... आज़ाद कर नेतृत्व में ही कई योजना बनी और इसपर कार्य हुआ ...
आज़ाद के जीवन को कोई सही से नही जानता .. वो अपना परिचय और कार्य अधिकतर समय गुप्त ही रखते थे ... कई बार इन्हें वेश बदलकर घूमने का भी आदत था ..जिस कारण इन्हें आसानी से नही पकड़ा जा पाया ..
अल्फ्रेड पार्क में बैठे होने के समय... किसी के द्वारा अंग्रेजी सरकार को सूचना मिलने पर .. उन्होंने पूरे पार्क को सैकड़ो सैनिकों के साथ घेर लिया ... आज़ाद ने डटकर सामना किया पर.... अंत मे जब मात्र एक गोली बची तो अन्य मार्ग न देखकर ... उन्होंने स्वयं को गोली मार ली ... इनका खौफ इतना था कि इनके शव पर गोली मारकर पहले मृत होने की पुष्टि हुई
इतिहास
ब्राह्मण धर्म – वेद
ब्राह्मण कर्म – गायत्री
ब्राह्मण जीवन – त्याग
ब्राह्मण मित्र – सुदामा
ब्राह्मण क्रोध – परशुराम
ब्राह्मण त्याग – ऋषि दधिची
ब्राह्मण राज – बाजीराव पेशवा
ब्राह्मण प्रतिज्ञा – चाणक्य
ब्राह्मण बलिदान – मंगल आजाद
ब्राह्मण भक्ति – रावण
ब्राह्मण भक्ति – रावण
ब्राह्मण ज्ञान – आदि गुरु शंकराचार्य
ब्राह्मण सुधारक – महर्षि दयानंद
ब्राह्मण राजनीतिज्ञ – कौटिल्य (चाणक्य)
ब्राह्मण वैज्ञानिक – आर्यभट्ट
ब्राह्मणो का योगदान -
भारत के क्रान्तिकारियो मे 90% क्रान्तिकारी ब्राह्मण थे जरा देखो कुछ मशहूर ब्राह्मण क्रान्तिकारियो के नाम
ब्राह्मण स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी
(१) चंद्रशेखर आजाद
(२) सुखदेव
(३) विनायक दामोदर सावरकर( वीर सावरकर )
(४) बाल गंगाधर तिलक
(५) लाल बहाद्दुर शास्त्री
(६) रानी लक्ष्मी बाई
(७) डा. राजेन्द्र प्रसाद
(८) पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल
(९) मंगल पान्डेय
(१०) लाला लाजपत राय
(११) देशबन्धु डा. राजीव दीक्षित
(१२) नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
(१३) शिवराम राजगुरु
(१४) विनोबा भावे
(१५) गोपाल कृष्ण गोखले
(१६) कर्नल लक्ष्मी सह्गल ( आजाद हिंद फ़ौज
की पहली महिला )
(१७) पण्डित मदन मोहन मालवीय
(१८) डा. शंकर दयाल शर्मा
(१९) रवि शंकर व्यास
(२०) मोहनलाल पंड्या
(२१) महादेव गोविंद रानाडे
(२२) तात्या टोपे
(२३) खुदीराम बोस
(२४) बाल गंगाधर तिलक
(२५) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
(२६) बिपिन चंद्र पाल
(२७) नर हरि पारीख
(२८) हरगोविन्द पंत
(२९) गोविन्द बल्लभ पंत
(३०) बदरी दत्त पाण्डे
(३१) प्रेम बल्लभ पाण्डे
(३२) भोलादत पाण्डे
(३३) लक्ष्मीदत्त शास्त्री
(३४) मोरारजी देसाई
(३५) महावीर त्यागी
(३६) बाबा राघव दास
(३७) स्वामी सहजानन्द
यह है ब्राह्मणो का भारत की क्रांती मे योगदान , तुम्हारा क्या है ? जरा बताओ तो तुम किस अधिकार से स्वयं को भारतीय
कहते हो और ब्राह्मणो का विरोध करते हो ।मुझे गर्व है
मैं ब्राह्मण हूं "
यदि ब्राह्मण नही होगा तो किसी का भी अस्तित्व
नही होगा
अथर्व वेद के 5/19/10 मे स्पष्ट लिखा है बाह्मणो की उपेक्षा व तिरस्कार की बात सोचने मात्र भल से सोचने वाले का सर्वस्व पतन होना शुरू हो जाता है ।क्योकि ब्राह्मण दान देने पे आया तो
-दधीचि,
दान लेने पे आया तो
सुदामा
परीक्षा लेने पे आया तो
-भृगु,
तपोबल पे आया तो
कपिल मुनि
अहंकार को दबाने पे आया तो
अगस्त मुनि
धर्म को बचाने पे आया तो
आदि शंकराचार्य
नीति पे आया तो ...
-चाणकय,
नेतृत्व करने पे आया तो
-अटल बिहारी,
बग़ावत पे आया तो
-मंगल पांडे,
क्रांति पे आया तो
-चंद्रशेखर आज़ाद,
संगठित करने पे आया तो
-केशव बलिराम हेगड़ेवार,
संघर्ष करने पे आया तो
-विनायक राव सावरकर- निराश हुआ तो
-नाथु राम गोडसे
और
क्रोध मे आया तो
-परशुराम
: ब्राह्मण साम्राज्य की टीम ने 2 महीने की मेहनत कर भारत के समस्त राज्यों से ब्राह्मण जनसँख्या जानने की कोशिश की हे जिसके अनुसार सूची तयार हुई हे। उम्मीद हे ब्राह्मण अपनी शक्ति पहचाने और एकजुट होकर कार्य करे :
1) जम्मू कश्मीर : 2 लाख + 4 लाख विस्थापित
2) पंजाब : 9 लाख ब्राह्मण
3) हरयाणा : 14 लाख ब्राह्मण
4) राजस्थान : 78 लाख ब्राह्मण
5) गुजरात : 60 लाख ब्राह्मण
6) महाराष्ट्र : 45 लाख ब्राह्मण
7) गोवा : 5 लाख ब्राह्मण
8) कर्णाटक : 45 लाख ब्राह्मण
9) केरल : 12 लाख ब्राह्मण
10) तमिलनाडु : 36 लाख ब्राह्मण
11) आँध्रप्रदेश : 24 लाख ब्राह्मण
12) छत्तीसगढ़ : 24 लाख ब्राह्मण
13) ओद्दिस : 37 लाख ब्राह्मण
14) झारखण्ड : 12 लाख ब्राह्मण
15) बिहार : 90 लाख ब्राह्मण
16) पश्चिम बंगाल : 18 लाख ब्राह्मण
17) मध्य प्रदेश : 42 लाख ब्राह्मण
18) उत्तर प्रदेश : 2 करोड़ ब्राह्मण
19) उत्तराखंड : 20 लाख ब्राह्मण
20) हिमाचल : 45 लाख ब्राह्मण
21) सिक्किम : 1 लाख ब्राह्मण
22) आसाम : 10 लाख ब्राह्मण
23) मिजोरम : 1.5 लाख ब्राह्मण
24) अरुणाचल : 1 लाख ब्राह्मण
25) नागालैंड : 2 लाख ब्राह्मण
26) मणिपुर : 7 लाख ब्राह्मण
27) मेघालय : 9 लाख ब्राह्मण
28) त्रिपुरा : 2 लाख ब्राह्मण
सबसे ज्यादा ब्राह्मण वाला राज्य: उत्तर प्रदेश
सबसे कम ब्राह्मण वाला राज्य : सिक्किम
सबसे ज्यादा ब्राह्मण राजनेतिक वर्चस्व : पश्चिम बंगाल
सबसे ज्यादा %ब्राह्मण वाला राज्य : उत्तराखंड में जनसँख्या के 20 % ब्राह्मण
अत्यधिक साक्षर ब्राह्मण राज्य :
केरल और हिमाचल
सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्तिथि में ब्राह्मण : आसाम
सबसे ज्यादा ब्राह्मण मुख्यमंत्री वाला राज्य : राजस्थान
सबसे ज्यादा ब्राह्मण विधायक वाला राज्य : उत्तर प्रदेश
--------------------
भारत लोकसभा में ब्राह्मण :
48 %
भारत राज्यसभा में ब्राह्मण : 36 %
भारत में ब्राह्मण राज्यपाल : 50 %
भारत में ब्राह्मण कैबिनेट सचिव : 33 %
भारत में मंत्री सचिव में ब्राह्मण : 54%
भारत में अतिरिक्त सचिव ब्राह्मण : 62%
भारत में पर्सनल सचिव ब्राह्मण : 70%
यूनिवर्सिटी में ब्राह्मण वाईस चांसलर : 51%
सुप्रीम कोर्ट में ब्राह्मण जज: 56%
हाई कोर्ट में ब्राह्मण जज :
40 %
भारतीय राजदूत ब्राह्मण : 41%
पब्लिक अंडरटेकिंग ब्राह्मण :
केंद्रीय : 57%
राज्य : 82 %
बैंक में ब्राह्मण : 57 %
एयरलाइन्स में ब्राह्मण : 61%
IAS ब्राह्मण : 72%
IPS ब्राह्मण : 61%
टीवी कलाकार एव बॉलीवुड : 83%
CBI Custom ब्राह्मण 72%
कुछ बात तो है कि हस्ती मिटती नही हमारी ।
मिट गये हमे मिटाने वाले
ब्राह्मण शास्त्रज्ञों में प्रमुख हैं अग्निरस, अपस्तम्भ, अत्रि, बॄहस्पति, बौधायन, दक्ष, गौतम, वत्स,हरित, कात्यायन, लिखित, मनु, पाराशर, समवर्त, शंख, शत्तप, ऊषानस, वशिष्ठ, विष्णु, व्यास, यज्ञवल्क्य तथा यम। ये इक्कीस ऋषि स्मॄतियों के रचयिता थे। स्मॄतियों में सबसे प्राचीन हैं अपस्तम्भ, बौधायन, गौतम तथा वशिष्ठि।
ब्राह्मण निर्धारण - कर्म से
ब्राह्मण का निर्धारण माता-पिता की जाती के आधार पर ही होने लगा है। स्कन्दपुराण में षोडशोपचार पूजन के अंतर्गत अष्टम उपचार में ब्रह्मा द्वारा नारद को यज्ञोपवीत के आध्यात्मिक अर्थ में बताया गया है,
जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते।
शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता।
अतः आध्यात्मिक दृष्टि से यज्ञोपवीत के बिना जन्म से ब्राह्मण भी शुद्र के समान ही होता है।
ब्राह्मण का व्यवहार
ब्राह्मण सनातन धर्म के नियमों का पालन करते हैं।
जैसे वेदों का आज्ञापालन, यह विश्वास कि मोक्ष तथा अन्तिम सत्य की प्राप्ति के अनेक माध्यम हैं, यह कि ईश्वर एक है किन्तु उनके गुणगान तथा पूजन हेतु अनगिनत नाम तथा स्वरूप हैं जिनका कारण है हमारे अनुभव, संस्कॄति तथा भाषाओं में विविधताएं।
ब्राह्मण सर्वेजनासुखिनो भवन्तु (सभी जन सुखी तथा समॄद्ध हों) एवं वसुधैव कुटुम्बकम (सारी वसुधा एक परिवार है) में विश्वास रखते हैं। सामान्यत: ब्राह्मण केवल शाकाहारी होते हैं (बंगाली, उड़ीया तथा कुछ अन्य ब्राह्मण तथा कश्मीरी पन्डित इसके अपवाद हैं)।
संस्कार
ब्राह्मण अपने जीवनकाल में सोलह प्रमुख संस्कार करते हैं। जन्म से पूर्व गर्भधारण, पुन्सवन (गर्भ में नर बालक को ईश्वर को समर्पित करना), सिमन्तोणणयन (गर्भिणी स्त्री का केश-मुण्डन)। बाल्यकाल में जातकर्म(जन्मानुष्ठान), नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्रासन, चूडकर्ण, कर्णवेध। बालक के शिक्षण-काल में विद्यारम्भ, उपनयन अर्थात यज्ञोपवीत्, वेदारम्भ, केशान्त अथवा गोदान, तथा समवर्तनम् या स्नान (शिक्षा-काल का अन्त)। वयस्क होने पर विवाह तथा मृत्यु पश्चात अन्त्येष्टि प्रमुख संस्कार हैं।
आधुनिक भारत के निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों जैसे
साहित्य, विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी, राजनीति, संस्कृति, पाण्डित्य, धर्म में ब्राह्मणों का अपरिमित योगदान है। प्रमुख क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों मे बाल गंगाधर तिलक, पं रामप्रसाद बिस्मिल, राजगुरु, सुखदेव,चंद्रशेखर आजाद इत्यादि हैं। लेखकों और विद्वानों में कालिदास, रबीन्द्रनाथ ठाकुर हैं।
ब्राह्मण पर कब तक अत्यचार होगा मनुवाद और ब्रह्मवाद का ब्यंग कर !!
बहुत से मठ और पीठ छः दशक पूर्व ब्राह्मण पीठ हुआ करते थे जिसमें एक गोरखपुर का भी पीठ है आज ज्यादातर पीठों से ब्राह्मणों को एन केन प्रकारेण जड़ से निर्मूल कर दिया गया ज्यादातर मठों में क्षत्रिय महंत (उदाहरण योगी आदित्यनाथ) या यादव महंत (उदाहरण रामदेव बाबा) काबिज हो गए हैं क्या कभी ब्राह्मणों ने प्रतिरोध किया?
सिर्फ तुक्ष राजनितिक स्वार्थ के लिए एक पुरे जीवंत,जग्रत और मनीषी कौम का तिरस्कार, उलाहना, और प्रतिभा प्रतिरोध को मजबूरी का नाम गिनाना उसी तरह का घिनौना अपराध है
ब्राह्मण राजनीतिज्ञ – कौटिल्य (चाणक्य)
ब्राह्मण वैज्ञानिक – आर्यभट्ट
ब्राह्मणो का योगदान -
भारत के क्रान्तिकारियो मे 90% क्रान्तिकारी ब्राह्मण थे जरा देखो कुछ मशहूर ब्राह्मण क्रान्तिकारियो के नाम
ब्राह्मण स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी
(१) चंद्रशेखर आजाद
(२) सुखदेव
(३) विनायक दामोदर सावरकर( वीर सावरकर )
(४) बाल गंगाधर तिलक
(५) लाल बहाद्दुर शास्त्री
(६) रानी लक्ष्मी बाई
(७) डा. राजेन्द्र प्रसाद
(८) पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल
(९) मंगल पान्डेय
(१०) लाला लाजपत राय
(११) देशबन्धु डा. राजीव दीक्षित
(१२) नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
(१३) शिवराम राजगुरु
(१४) विनोबा भावे
(१५) गोपाल कृष्ण गोखले
(१६) कर्नल लक्ष्मी सह्गल ( आजाद हिंद फ़ौज
की पहली महिला )
(१७) पण्डित मदन मोहन मालवीय
(१८) डा. शंकर दयाल शर्मा
(१९) रवि शंकर व्यास
(२०) मोहनलाल पंड्या
(२१) महादेव गोविंद रानाडे
(२२) तात्या टोपे
(२३) खुदीराम बोस
(२४) बाल गंगाधर तिलक
(२५) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
(२६) बिपिन चंद्र पाल
(२७) नर हरि पारीख
(२८) हरगोविन्द पंत
(२९) गोविन्द बल्लभ पंत
(३०) बदरी दत्त पाण्डे
(३१) प्रेम बल्लभ पाण्डे
(३२) भोलादत पाण्डे
(३३) लक्ष्मीदत्त शास्त्री
(३४) मोरारजी देसाई
(३५) महावीर त्यागी
(३६) बाबा राघव दास
(३७) स्वामी सहजानन्द
यह है ब्राह्मणो का भारत की क्रांती मे योगदान , तुम्हारा क्या है ? जरा बताओ तो तुम किस अधिकार से स्वयं को भारतीय
कहते हो और ब्राह्मणो का विरोध करते हो ।मुझे गर्व है
मैं ब्राह्मण हूं "
यदि ब्राह्मण नही होगा तो किसी का भी अस्तित्व
नही होगा
अथर्व वेद के 5/19/10 मे स्पष्ट लिखा है बाह्मणो की उपेक्षा व तिरस्कार की बात सोचने मात्र भल से सोचने वाले का सर्वस्व पतन होना शुरू हो जाता है ।क्योकि ब्राह्मण दान देने पे आया तो
-दधीचि,
दान लेने पे आया तो
सुदामा
परीक्षा लेने पे आया तो
-भृगु,
तपोबल पे आया तो
कपिल मुनि
अहंकार को दबाने पे आया तो
अगस्त मुनि
धर्म को बचाने पे आया तो
आदि शंकराचार्य
नीति पे आया तो ...
-चाणकय,
नेतृत्व करने पे आया तो
-अटल बिहारी,
बग़ावत पे आया तो
-मंगल पांडे,
क्रांति पे आया तो
-चंद्रशेखर आज़ाद,
संगठित करने पे आया तो
-केशव बलिराम हेगड़ेवार,
संघर्ष करने पे आया तो
-विनायक राव सावरकर- निराश हुआ तो
-नाथु राम गोडसे
और
क्रोध मे आया तो
-परशुराम
: ब्राह्मण साम्राज्य की टीम ने 2 महीने की मेहनत कर भारत के समस्त राज्यों से ब्राह्मण जनसँख्या जानने की कोशिश की हे जिसके अनुसार सूची तयार हुई हे। उम्मीद हे ब्राह्मण अपनी शक्ति पहचाने और एकजुट होकर कार्य करे :
1) जम्मू कश्मीर : 2 लाख + 4 लाख विस्थापित
2) पंजाब : 9 लाख ब्राह्मण
3) हरयाणा : 14 लाख ब्राह्मण
4) राजस्थान : 78 लाख ब्राह्मण
5) गुजरात : 60 लाख ब्राह्मण
6) महाराष्ट्र : 45 लाख ब्राह्मण
7) गोवा : 5 लाख ब्राह्मण
8) कर्णाटक : 45 लाख ब्राह्मण
9) केरल : 12 लाख ब्राह्मण
10) तमिलनाडु : 36 लाख ब्राह्मण
11) आँध्रप्रदेश : 24 लाख ब्राह्मण
12) छत्तीसगढ़ : 24 लाख ब्राह्मण
13) ओद्दिस : 37 लाख ब्राह्मण
14) झारखण्ड : 12 लाख ब्राह्मण
15) बिहार : 90 लाख ब्राह्मण
16) पश्चिम बंगाल : 18 लाख ब्राह्मण
17) मध्य प्रदेश : 42 लाख ब्राह्मण
18) उत्तर प्रदेश : 2 करोड़ ब्राह्मण
19) उत्तराखंड : 20 लाख ब्राह्मण
20) हिमाचल : 45 लाख ब्राह्मण
21) सिक्किम : 1 लाख ब्राह्मण
22) आसाम : 10 लाख ब्राह्मण
23) मिजोरम : 1.5 लाख ब्राह्मण
24) अरुणाचल : 1 लाख ब्राह्मण
25) नागालैंड : 2 लाख ब्राह्मण
26) मणिपुर : 7 लाख ब्राह्मण
27) मेघालय : 9 लाख ब्राह्मण
28) त्रिपुरा : 2 लाख ब्राह्मण
सबसे ज्यादा ब्राह्मण वाला राज्य: उत्तर प्रदेश
सबसे कम ब्राह्मण वाला राज्य : सिक्किम
सबसे ज्यादा ब्राह्मण राजनेतिक वर्चस्व : पश्चिम बंगाल
सबसे ज्यादा %ब्राह्मण वाला राज्य : उत्तराखंड में जनसँख्या के 20 % ब्राह्मण
अत्यधिक साक्षर ब्राह्मण राज्य :
केरल और हिमाचल
सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्तिथि में ब्राह्मण : आसाम
सबसे ज्यादा ब्राह्मण मुख्यमंत्री वाला राज्य : राजस्थान
सबसे ज्यादा ब्राह्मण विधायक वाला राज्य : उत्तर प्रदेश
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भारत लोकसभा में ब्राह्मण :
48 %
भारत राज्यसभा में ब्राह्मण : 36 %
भारत में ब्राह्मण राज्यपाल : 50 %
भारत में ब्राह्मण कैबिनेट सचिव : 33 %
भारत में मंत्री सचिव में ब्राह्मण : 54%
भारत में अतिरिक्त सचिव ब्राह्मण : 62%
भारत में पर्सनल सचिव ब्राह्मण : 70%
यूनिवर्सिटी में ब्राह्मण वाईस चांसलर : 51%
सुप्रीम कोर्ट में ब्राह्मण जज: 56%
हाई कोर्ट में ब्राह्मण जज :
40 %
भारतीय राजदूत ब्राह्मण : 41%
पब्लिक अंडरटेकिंग ब्राह्मण :
केंद्रीय : 57%
राज्य : 82 %
बैंक में ब्राह्मण : 57 %
एयरलाइन्स में ब्राह्मण : 61%
IAS ब्राह्मण : 72%
IPS ब्राह्मण : 61%
टीवी कलाकार एव बॉलीवुड : 83%
CBI Custom ब्राह्मण 72%
कुछ बात तो है कि हस्ती मिटती नही हमारी ।
मिट गये हमे मिटाने वाले
ब्राह्मण शास्त्रज्ञों में प्रमुख हैं अग्निरस, अपस्तम्भ, अत्रि, बॄहस्पति, बौधायन, दक्ष, गौतम, वत्स,हरित, कात्यायन, लिखित, मनु, पाराशर, समवर्त, शंख, शत्तप, ऊषानस, वशिष्ठ, विष्णु, व्यास, यज्ञवल्क्य तथा यम। ये इक्कीस ऋषि स्मॄतियों के रचयिता थे। स्मॄतियों में सबसे प्राचीन हैं अपस्तम्भ, बौधायन, गौतम तथा वशिष्ठि।
ब्राह्मण निर्धारण - कर्म से
ब्राह्मण का निर्धारण माता-पिता की जाती के आधार पर ही होने लगा है। स्कन्दपुराण में षोडशोपचार पूजन के अंतर्गत अष्टम उपचार में ब्रह्मा द्वारा नारद को यज्ञोपवीत के आध्यात्मिक अर्थ में बताया गया है,
जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते।
शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता।
अतः आध्यात्मिक दृष्टि से यज्ञोपवीत के बिना जन्म से ब्राह्मण भी शुद्र के समान ही होता है।
ब्राह्मण का व्यवहार
ब्राह्मण सनातन धर्म के नियमों का पालन करते हैं।
जैसे वेदों का आज्ञापालन, यह विश्वास कि मोक्ष तथा अन्तिम सत्य की प्राप्ति के अनेक माध्यम हैं, यह कि ईश्वर एक है किन्तु उनके गुणगान तथा पूजन हेतु अनगिनत नाम तथा स्वरूप हैं जिनका कारण है हमारे अनुभव, संस्कॄति तथा भाषाओं में विविधताएं।
ब्राह्मण सर्वेजनासुखिनो भवन्तु (सभी जन सुखी तथा समॄद्ध हों) एवं वसुधैव कुटुम्बकम (सारी वसुधा एक परिवार है) में विश्वास रखते हैं। सामान्यत: ब्राह्मण केवल शाकाहारी होते हैं (बंगाली, उड़ीया तथा कुछ अन्य ब्राह्मण तथा कश्मीरी पन्डित इसके अपवाद हैं)।
संस्कार
ब्राह्मण अपने जीवनकाल में सोलह प्रमुख संस्कार करते हैं। जन्म से पूर्व गर्भधारण, पुन्सवन (गर्भ में नर बालक को ईश्वर को समर्पित करना), सिमन्तोणणयन (गर्भिणी स्त्री का केश-मुण्डन)। बाल्यकाल में जातकर्म(जन्मानुष्ठान), नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्रासन, चूडकर्ण, कर्णवेध। बालक के शिक्षण-काल में विद्यारम्भ, उपनयन अर्थात यज्ञोपवीत्, वेदारम्भ, केशान्त अथवा गोदान, तथा समवर्तनम् या स्नान (शिक्षा-काल का अन्त)। वयस्क होने पर विवाह तथा मृत्यु पश्चात अन्त्येष्टि प्रमुख संस्कार हैं।
आधुनिक भारत के निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों जैसे
साहित्य, विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी, राजनीति, संस्कृति, पाण्डित्य, धर्म में ब्राह्मणों का अपरिमित योगदान है। प्रमुख क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों मे बाल गंगाधर तिलक, पं रामप्रसाद बिस्मिल, राजगुरु, सुखदेव,चंद्रशेखर आजाद इत्यादि हैं। लेखकों और विद्वानों में कालिदास, रबीन्द्रनाथ ठाकुर हैं।
ब्राह्मण पर कब तक अत्यचार होगा मनुवाद और ब्रह्मवाद का ब्यंग कर !!
बहुत से मठ और पीठ छः दशक पूर्व ब्राह्मण पीठ हुआ करते थे जिसमें एक गोरखपुर का भी पीठ है आज ज्यादातर पीठों से ब्राह्मणों को एन केन प्रकारेण जड़ से निर्मूल कर दिया गया ज्यादातर मठों में क्षत्रिय महंत (उदाहरण योगी आदित्यनाथ) या यादव महंत (उदाहरण रामदेव बाबा) काबिज हो गए हैं क्या कभी ब्राह्मणों ने प्रतिरोध किया?
सिर्फ तुक्ष राजनितिक स्वार्थ के लिए एक पुरे जीवंत,जग्रत और मनीषी कौम का तिरस्कार, उलाहना, और प्रतिभा प्रतिरोध को मजबूरी का नाम गिनाना उसी तरह का घिनौना अपराध है
जिस तरह मुहम्मद ग़ज़नवी ने पचास हज़ार ब्राह्मणों के सामने उस समय प्रस्ताव रखा की वे अपने सर का बलिदान दे देंगे तो सोमनाथ को छोड़ देगा, जबकि इस आक्रमण की खबर पाते ही वहां का पाल वंशी राजा अपने ढाई लाख रेगुलर सैनिकों के साथ बिना प्रतिरोध किये मंदिर छोड़ पलायन कर गया था।इसके बाद जो हुआ सबको विदित है कतार में ब्राह्मण निहत्थे आते गये और सोमनाथ के प्रांगण में एक एक कर पचास हज़ार शीश न्योछावर कर दिया।
इसको छिपाने वाले भी इस काल के ज्यादातर सवर्ण या ब्राह्मण कामपंथी इतिहासकार ही हैं।
यह कहने का मतलब ये है कि विगत 2000 वर्षों में धर्म के नाम पर 10 करोड़ बलिदान दे देने वाले कौम को आज हर छोटे बड़े स्वार्थ, आरक्षण के नाम पर , हिंदुओं के ताने बाने ग्राम्य स्तर तक आघात पहुचाने के षड्यंत्र के तहत मनुवादी कह प्रताड़ित अपमानित किया जा रहा है
आखिर कब तक???
सिंध में बौद्धों ( भीमटो ) ओर ब्राह्मणो में आपस मे विवाद चल रहा था, जैसे आज चल रहा है। ब्राह्मणो को सबक सिखाने के लिए बौद्धों ने मुसलमानो को अरब पार से बुला लिया ! युद्ध के समय मे रात में सोते हुए हिन्दू सेनिको के दुर्ग के द्वार इन बोद्ध मल्लेछो ने खोल दिये । पूरी सेना को सोते हुए में ही काट दिया गया, फिर भी जो बचे, वो दोपहर तक युद्ध करते रहे ।
निसंदेह राजा दाहिर एक वीर हिन्दू था । किंतु सेक्युलर था । उसने बौद्धों को सिर चढ़ाया ओर ब्राह्मणो की अवहेलना की । जिसका परिणाम आज का भारत है ।
इन बोद्ध मल्लेछो को हिन्दू बताने वाले कुत्तो पर लानत है, इन्हें अपना कहने वालों पर लानत है, जो आज तक इतिहास से कुछ ना सीखे ।
आज भी यह सुंवर वही कर रहे है । जय भीम- जय मीम हिन्दुओ के साथ वही इतिहास दोहराने की तैयारी है ।
भारत के मुसलमानो का दोगलापन देखिये -
द्वितीय विश्व युद्ध हो रहा था, हिटलर यहूदियों को मार रहा था । लेकिन भारत के मुसलमानो ने हिटलर के विरुद्ध अंग्रेजो का साथ दिया , सिर्फ इस शर्त पर की अंग्रेजो का साथ देने के एवज में उन्के नए राष्ट्र पाकिस्तान पर अंग्रेज विचार करेंगे । हालांकि कुरान में यहूदियों के लिए बेइंतहा नफरत भरी पड़ी है । और इजरायल बनने का कारण भी हिटलर की हार ही था ।
यह लोग खुद ब्रिटेन की मदद कर के इजरायल बनवा दिए, उसके बाद अब इजरायल का रोना रोते है । फिलिस्तीन का रोना रोते है ।
दूसरी ओर आजाद हिंद फौज की हिन्दू सेना , हिटलर का साथ दे रही थी, की जैसे तैसे हमारा भी देश आजाद हो जाये, क्यो की हिटलर ब्रिटेन के साथ भी युद्ध कर रहा था ।
मुसलमानो का एकमात्र धर्म केवल देश से गद्दारी करना है, जिस थाली में खाना उसी में छेद करना इनका एकमात्र धर्म है ।
यह कहने का मतलब ये है कि विगत 2000 वर्षों में धर्म के नाम पर 10 करोड़ बलिदान दे देने वाले कौम को आज हर छोटे बड़े स्वार्थ, आरक्षण के नाम पर , हिंदुओं के ताने बाने ग्राम्य स्तर तक आघात पहुचाने के षड्यंत्र के तहत मनुवादी कह प्रताड़ित अपमानित किया जा रहा है
आखिर कब तक???
सिंध में बौद्धों ( भीमटो ) ओर ब्राह्मणो में आपस मे विवाद चल रहा था, जैसे आज चल रहा है। ब्राह्मणो को सबक सिखाने के लिए बौद्धों ने मुसलमानो को अरब पार से बुला लिया ! युद्ध के समय मे रात में सोते हुए हिन्दू सेनिको के दुर्ग के द्वार इन बोद्ध मल्लेछो ने खोल दिये । पूरी सेना को सोते हुए में ही काट दिया गया, फिर भी जो बचे, वो दोपहर तक युद्ध करते रहे ।
निसंदेह राजा दाहिर एक वीर हिन्दू था । किंतु सेक्युलर था । उसने बौद्धों को सिर चढ़ाया ओर ब्राह्मणो की अवहेलना की । जिसका परिणाम आज का भारत है ।
इन बोद्ध मल्लेछो को हिन्दू बताने वाले कुत्तो पर लानत है, इन्हें अपना कहने वालों पर लानत है, जो आज तक इतिहास से कुछ ना सीखे ।
आज भी यह सुंवर वही कर रहे है । जय भीम- जय मीम हिन्दुओ के साथ वही इतिहास दोहराने की तैयारी है ।
भारत के मुसलमानो का दोगलापन देखिये -
द्वितीय विश्व युद्ध हो रहा था, हिटलर यहूदियों को मार रहा था । लेकिन भारत के मुसलमानो ने हिटलर के विरुद्ध अंग्रेजो का साथ दिया , सिर्फ इस शर्त पर की अंग्रेजो का साथ देने के एवज में उन्के नए राष्ट्र पाकिस्तान पर अंग्रेज विचार करेंगे । हालांकि कुरान में यहूदियों के लिए बेइंतहा नफरत भरी पड़ी है । और इजरायल बनने का कारण भी हिटलर की हार ही था ।
यह लोग खुद ब्रिटेन की मदद कर के इजरायल बनवा दिए, उसके बाद अब इजरायल का रोना रोते है । फिलिस्तीन का रोना रोते है ।
दूसरी ओर आजाद हिंद फौज की हिन्दू सेना , हिटलर का साथ दे रही थी, की जैसे तैसे हमारा भी देश आजाद हो जाये, क्यो की हिटलर ब्रिटेन के साथ भी युद्ध कर रहा था ।
मुसलमानो का एकमात्र धर्म केवल देश से गद्दारी करना है, जिस थाली में खाना उसी में छेद करना इनका एकमात्र धर्म है ।
एक सीरियाई महमूद मुर्सी के लिए सहानुभूति की गंगा जमुना हफ़्तों महीनों मिडिया में बह निकलती है पर जब काश्मीर में पण्डितो के अबोध बच्चों का कत्ल कर बाहर बिजली के तारों पर सूखा दिया गया था तो इन्ही हरामजादों के मुंह में ताला जड़ गया!!
भारत में आप मनुवाद और ब्राह्मणवाद कह के कुछ भी कह सकते है कोई कुछ नहीं कहने वाला नहीं यूपी और बिहार में, ब्राह्मणों के इज्जत के साथ खेला जाता है सरकार चुप रहती है उन गुंडों पर कोई करवाई नहीं होता किन्तु यदि ब्राह्मण आपने आत्म रक्षा में सस्त्र या शब्द उठा के बोल दे तो उन्हें जेल में डाल दिया जाता है
दलित और बुद्धिजीवी लोग तर्क देते है ब्राह्मणों ने बहुत अत्यचार किया है जब की राज मुग़ल और अंग्रेज किये है तो अत्यचार ब्राह्मण कैसे कर लिए प्रश्न बहुत कठिन बनते जा रहा है
इस पोस्ट में एक गलती है की लाल बहादुर शास्त्री ब्राह्मण नहीं बल्कि श्रीवास्तव थे कृपया सुधार करें
ReplyDeleteAcha bhaiya ye ab lal bahadur shastri ji shree vastav ban gye hai sahi aap rajput h ya Shrivastava h
DeleteSahi bat hai lal bahadur shastri Shrivastava hi h. Shastri unki degree h.
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