Monday, 17 July 2017

जयमल मेड़तिया

#चित्तौड़_का_शेर - जयमल मेड़तिया

अगर वीरो का इतिहास लिखना हो, तो उसकी शुरुवात राजस्थान से करनी चाहिए ......

इसी लिए कर्नल टॉड कहते है .... राजस्थान का कोई ऐसा एक गांव नही ... जहां शूरवीर ना पैदा हुए हो ।


अकबर ने जब चितोड़ पर आक्रमण किया, तो उदयसिंह ने दुर्ग की रक्षा का जिम्मा जयमल मेड़तिया को देकर जंगलो में प्रस्थान किया ।

मात्र 7000 की सेना से ही वीरो के वीर इस राजपूत जयमल मेड़तिया ने मुगल सेना को करीब 1 महीने रोके रखा । इतने समय मे चितोड़ के राजपूतो ने इतने मुगलो की गर्दन उड़ाई, की लाशों के अंबार लग गए ।

बादशाह अकबर जयमल के पराकर्म से भयभीत व आशंकित हो उठा था सो उसने राजा टोडरमल के जरिये जयमल को संदेश भेजा कि आप राणा और चित्तोड़ के लिए क्यों अपने प्राण व्यर्थ गवां रहे हो,चित्तोड़ दुर्ग पर मेरा कब्जा करा दो मै तुम्हे तुम्हारा पैत्रिक राज्य मेड़ता और बहुत सारा प्रदेश भेंट कर दूंगा |
लेकिन जयमल ने अकबर का प्रस्ताव साफ ठुकरा दिया कि मै राणा और चित्तोड़ के साथ विश्वासघात नही कर सकता और मेरे जीवित रहते आप किले में प्रवेश नही कर सकते |

एक रात्रि को अकबर ने देखा कि किले कि दीवार पर हाथ में मशाल लिए जिरह वस्त्र पहने एक सामंत दीवार मरम्मत का कार्य देख रहा है और अकबर ने अपनी संग्राम नामक बन्दूक से गोली दाग दी जो उस सामंत के पैर में लगी वो सामंत कोई और नही ख़ुद जयमल मेडतिया ही था |


थोडी ही देर में किले से अग्नि कि ज्वालाये दिखने लगी ये ज्वालाये जौहर की थी | जयमल की जांघ में गोली लगने से उसका चलना दूभर हो गया था उसके घायल होने से किले में हा हा कार मच गया अतः साथी सरदारों के सुझाव पर जौहर और शाका का निर्णय लिया गया ,जौहर क्रिया संपन्न होने के बाद घायल जयमल कल्ला राठौड़ के कंधे पर बैठकर चल पड़ा रणचंडी का आव्हान करने |

जयमल के दोनों हाथो की तलवारों बिजली के सामान चमकते हुए शत्रुओं का संहार किया उसके शौर्य को देख कर अकबर भी आश्चर्यचकित था | इस प्रकार यह वीर चित्तोड़ की रक्षा करते हुए दुर्ग की हनुमान पोल व भैरव पोल के बीच लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुवा जहाँ उसकी याद में स्मारक बना हुआ है |

जब मेड़तिया कल्ला जी के कंधे पर चढ़कर युद्ध कर रहे थे, तो उनके साथियों को भगवान चतुर्भुज की याद गयी थी।।

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