सबसे पहले हम अंग्रेजी के KING शब्द पर ही विचार कर लेते है ।
अंग्रेजी भाषा मे कभी " सी (C) " अक्षर का उच्चारण कभी "स" होता है ( जैसे सिविल (civil ) ओर सेंटर (centre) में । ओर कई बार" क " होता है । जैसे कैच ( caught ) क्रिकेट ( cricket ) अगर हम इसी "c"(क) को यदि KING के प्रथम अक्षर K के स्थान पर रख दे ( Cing ) तो यह पूरा पूरा सिंह हो जाएगा ।। अतः आज जो किंग का प्रचलित रूप है, जो राजा महाराजा यूरोप में थे, वो कभी सनातनी क्षत्रिय ही थे । क्यो की वैदिक संस्कृति में सभी चक्रवर्ती सम्राट अपने नाम के आगे सिंह अवशय लिखते थे - जैसे मानसिंह, जगतसिंह , उदयसिंह आदि । साफ है वहां भाषा परिवर्तन के कारण भारत का सिंह ईसाई बनकर king बन गया ।
अंग्रेजी का "रॉयल " शब्द भी संस्कृत का ही शब्द है । क्यो की संस्कृत में राय और राजा का अर्थ समान है । जैसे राजगढ़ - रायगढ़ । जैसे शिवराया या शिवराजा ।
अब जब इतना जान ही चुके है - तो इटली चलते है -- जहां कभी हिन्दू धर्म ही हुआ करता था ।
इटली की राजधानी का नाम " रोम" है । और यहां से ही पूरा रोमन साम्राज्य चलाया जाता था । रोमन सभ्यता पूरी तरह से वैदिक सभ्यता थी । इटली की राजधानी का " रोम" नाम होना ही इसका सबसे बड़ा प्रमाण है , क्यो की विष्णु अवतार प्रभु श्री राम के नाम से ही पूरा का पूरा रोम बसा हुआ है । वास्तव में इसका नाम केवल केवल " राम या रामचन्द्र " ही होना चाहिए था । और " राम " नाम है भी । केवल उच्चारण थोड़ा सा बदल गया है ।।
संस्कृत में प्रभु श्री राम का नाम रामः ऐसा है । उसे हम मराठी , हिंदी आदि भाषा मे राम कहते है । कोई " रामा " भी कहता है । इटली में उसे थोड़ा और तोड़मरोड़ कर "रोम " कहते है । यह केवल इसी शब्द को नही बल्कि हर अकारांत शब्द को ओकारन्त में बदल देते है ।
जैसे संस्कृत का नास : शब्द उच्चारण में नोज ( nose) कहलाता है । गम ( गति) का गो (go ) होता है । रॉयल शब्द का उच्चारण " रोयल " कर देते है । जैसे बंगाल में भी मनमोहन सिंह को "मौनमोहन" कहते है 😜
इसी तरह इन्होंने राम शब्द को भी रोम ही कहना शुरू कर दिया ।
अभी भी कई शब्द अंग्रेजी के ठेठ संस्कृत ही है । जैसे भटक जाना आदि को संस्कृत में रमणा कहते है। वैसे जी आंग्ल भाषा मे roam यानी भटकना - रोमियो यानी ; - विलासता में भटकना ! भारत मे तो आज भी रोमियो का मतलब वही है । योगी जी ने वही रोमियो स्क्वाड लगा रखी है । मतलब विलासी लोगो को दंड दण्ड की मशीन ।।
अतः हमें कोई शंका नही रहनी चाहिए कि राम के नाम पर ही रोम शब्द बना हुआ है । अतः इतिहास में जो शब्द " रोमन " कहलाता है, वह वास्तव में रामन साम्राज्य ही था । अब सवाल यह है की क्या रामचन्द्र जी इटली में रहते थे ? नही ! ऐसी बात नही है । रोम उर्फ रामनगर की स्थापना तो बहुत कालांतर की बात है ।
#रोम_उर्फ_रामनगर_की_स्थापना
इटली के सरकारी सूचना पत्रों के अनुसार रोम नगर की स्थापना ईसापूर्व वर्ष 953 के दिन अप्रेल 21 को हुई । ओर कृतयुग के रामावतार को लगभग 10 लाख वर्ष बीत चुके है । अतः रोम में भगवान राम का जन्म हुआ, ऐसी बात नही है । जब कोई व्यक्ति विख्यात हो जाता है तो श्रद्धाभाव के कारण उसी व्यक्ति के नामपर अन्य व्यक्तियों यजे विविध स्थलों का नाम रख दिया जाता है । जैसे स्वम् भारत मे कितनी बस्तियां राम के नाम पर है । किन्तु उन सब स्थानों पर राम चले हो, ऐसा संभव नही है । अतः इटली के रोम से प्रभु श्री राम का सम्बंध रहा होगा, या राम वहां गए भी होंगे, ऐसी बात नही है ।।
वैसे तो भगवान राम अपने समय के विश्वविजेता थे, वहां गए भी होंगे, रहे भी होंगे, किन्तु वहां ना भी गए तो विश्वविख्यात विभूति होने के कारण उनके नाम पर ही " रोम" पड़ा । यह तो हुई तार्किक बात --- अब इसके प्रमाण भी है ---
इटली देश मे ईसापूर्व के जो मकान पुरातत्व उल्लेखन में पाए गए है- उसमे रामायण के चित्रों के प्रसंग पाए गए है । वे चित्र इटली की एट्रू स्कं सभ्यता के बताए जाते है । वैसे तो यूरोपीय इतिहासकार आजतक जो ऐतिहासिक खोज कर पाए है, वह बिल्कुल भी विश्वास के लायक नही है। उन गधामूर्खो का साफ साफ केवल यही मानना है की पूर्व में तो कोई सभ्यता थी ही नही, आदमी उन्नत था ही नही, कमबख्त आदमी को बंदर का वंशज बताते है ।यूरोप का आजतक का सारा संसोधन उटपटांग पूर्व कल्पनाओं पर आधारित होने से , बहुमूल्य प्रमाण मिलने पर भी निकम्मा होकर रह गया है, जबकि उनके आधारों ओर सारे विश्व का इतिहास दुबारा लिखा जा सकता है, ओर लिखा भी जाना चाहिए ।उन प्रमाणों के इतना अधिक महत्व है ।
इटली में रावण नगर भी
रोम के रामनगर होने का प्रमाण यह भी है, की रोम के पूर्णतया विरोधी दिशा के स्थान पर रावण नाम का Ravenna नाम का भी नगर है । अब राम का बिल्कुल ठीक विरोधी रावण था, तो हो सकता है वहां भी वामपंथियो ने यह रावण नगर बसाने की दुस्तता की हो ।
इटली के एक नगर Milano ( मिलेनो ) नाम से भी जाना जाता है :- यह राम के भरत के मिलाप के प्रसंग पर इसका नाम पड़ा है ।
एक समय था जब सारे यूरोप को "इबरीय ( iberia)" कहा जाता था । हो सकता है शिवरिय से श निकलकर इबरीय रह गया हो । या फिर यह हो सकता है, यूरोप के लोग सुरूप होने के कारण सुरूप से यह यूरूप बन गया हो ।
इटली के लोगो की वैदिक क्षत्रिय परम्परा
वैदिक क्षत्रियो के धर्मयुद्ध के उनकी क्षत्रिय वीरता के आदर्श रोमन परम्परा में बराबर देखे जाते है । जैसे केशरी वस्त्र पहनकर रणभूमि में उतरना । रोमन परंपरा में उन वस्त्रो को जामुनी रंग कहा गया है । किन्तु वह मूलतः केशरी थे । युद्ध करने निकला व्यक्ति जीवन के सारे प्रलोभन त्याग के निकलता था । ओर आवश्कता पड़ने पर प्रतिहार करते हुए प्राण भी देना पड़ता था । ऐसी भावना से युद्ध करने निकला व्यक्ति केशरिया वस्त्र पहनकर निकलता था । रोमन सैनिक भी वही किया करते थे ।।
कॉन्वेंट (Convent ) विद्यालय
Convent शब्द आजकल बड़ा प्रचलित है। कान्वेंट यानी ईसाई धर्माश्रम , उनके चलाये हुए विद्यालयों को कान्वेंट स्कूल ( विद्यालय) कहते है । इसका पुराना नाम शनवन्तशाला है । यह एक संस्कृत शब्द है ।जैसे पोस्ट में ऊपर पहले भी लिखा है , अगर c का उच्चारण हम "स" कर ले तो यह शनवन्त शब्द है। " शं " यानी मंगल । जैसे शंकर यानि मंगल करने वाला । शन्नो देवी यानी हमारा मंगल करने वाली देवी । उसी तरह यह मंगल करने वाला स्थान कान्वेंट कहलाता । इसी प्रकार शाला शब्द को विकृत कर स्कूल लिखा जाता है ।।
इस प्रकार ढूंढते जाइये ... बहुत कुछ है इटली में जो साबित करता है, की यहां पहले हिन्दू धर्म ही था । शंकर देव का मन्दिर भी यहां रहा है, इसका विवरण आगे कभी ... गणेश पूजा भी होती थी ।
अंग्रेजी भाषा मे कभी " सी (C) " अक्षर का उच्चारण कभी "स" होता है ( जैसे सिविल (civil ) ओर सेंटर (centre) में । ओर कई बार" क " होता है । जैसे कैच ( caught ) क्रिकेट ( cricket ) अगर हम इसी "c"(क) को यदि KING के प्रथम अक्षर K के स्थान पर रख दे ( Cing ) तो यह पूरा पूरा सिंह हो जाएगा ।। अतः आज जो किंग का प्रचलित रूप है, जो राजा महाराजा यूरोप में थे, वो कभी सनातनी क्षत्रिय ही थे । क्यो की वैदिक संस्कृति में सभी चक्रवर्ती सम्राट अपने नाम के आगे सिंह अवशय लिखते थे - जैसे मानसिंह, जगतसिंह , उदयसिंह आदि । साफ है वहां भाषा परिवर्तन के कारण भारत का सिंह ईसाई बनकर king बन गया ।
अंग्रेजी का "रॉयल " शब्द भी संस्कृत का ही शब्द है । क्यो की संस्कृत में राय और राजा का अर्थ समान है । जैसे राजगढ़ - रायगढ़ । जैसे शिवराया या शिवराजा ।
अब जब इतना जान ही चुके है - तो इटली चलते है -- जहां कभी हिन्दू धर्म ही हुआ करता था ।
इटली की राजधानी का नाम " रोम" है । और यहां से ही पूरा रोमन साम्राज्य चलाया जाता था । रोमन सभ्यता पूरी तरह से वैदिक सभ्यता थी । इटली की राजधानी का " रोम" नाम होना ही इसका सबसे बड़ा प्रमाण है , क्यो की विष्णु अवतार प्रभु श्री राम के नाम से ही पूरा का पूरा रोम बसा हुआ है । वास्तव में इसका नाम केवल केवल " राम या रामचन्द्र " ही होना चाहिए था । और " राम " नाम है भी । केवल उच्चारण थोड़ा सा बदल गया है ।।
संस्कृत में प्रभु श्री राम का नाम रामः ऐसा है । उसे हम मराठी , हिंदी आदि भाषा मे राम कहते है । कोई " रामा " भी कहता है । इटली में उसे थोड़ा और तोड़मरोड़ कर "रोम " कहते है । यह केवल इसी शब्द को नही बल्कि हर अकारांत शब्द को ओकारन्त में बदल देते है ।
जैसे संस्कृत का नास : शब्द उच्चारण में नोज ( nose) कहलाता है । गम ( गति) का गो (go ) होता है । रॉयल शब्द का उच्चारण " रोयल " कर देते है । जैसे बंगाल में भी मनमोहन सिंह को "मौनमोहन" कहते है 😜
इसी तरह इन्होंने राम शब्द को भी रोम ही कहना शुरू कर दिया ।
अभी भी कई शब्द अंग्रेजी के ठेठ संस्कृत ही है । जैसे भटक जाना आदि को संस्कृत में रमणा कहते है। वैसे जी आंग्ल भाषा मे roam यानी भटकना - रोमियो यानी ; - विलासता में भटकना ! भारत मे तो आज भी रोमियो का मतलब वही है । योगी जी ने वही रोमियो स्क्वाड लगा रखी है । मतलब विलासी लोगो को दंड दण्ड की मशीन ।।
अतः हमें कोई शंका नही रहनी चाहिए कि राम के नाम पर ही रोम शब्द बना हुआ है । अतः इतिहास में जो शब्द " रोमन " कहलाता है, वह वास्तव में रामन साम्राज्य ही था । अब सवाल यह है की क्या रामचन्द्र जी इटली में रहते थे ? नही ! ऐसी बात नही है । रोम उर्फ रामनगर की स्थापना तो बहुत कालांतर की बात है ।
#रोम_उर्फ_रामनगर_की_स्थापना
इटली के सरकारी सूचना पत्रों के अनुसार रोम नगर की स्थापना ईसापूर्व वर्ष 953 के दिन अप्रेल 21 को हुई । ओर कृतयुग के रामावतार को लगभग 10 लाख वर्ष बीत चुके है । अतः रोम में भगवान राम का जन्म हुआ, ऐसी बात नही है । जब कोई व्यक्ति विख्यात हो जाता है तो श्रद्धाभाव के कारण उसी व्यक्ति के नामपर अन्य व्यक्तियों यजे विविध स्थलों का नाम रख दिया जाता है । जैसे स्वम् भारत मे कितनी बस्तियां राम के नाम पर है । किन्तु उन सब स्थानों पर राम चले हो, ऐसा संभव नही है । अतः इटली के रोम से प्रभु श्री राम का सम्बंध रहा होगा, या राम वहां गए भी होंगे, ऐसी बात नही है ।।
वैसे तो भगवान राम अपने समय के विश्वविजेता थे, वहां गए भी होंगे, रहे भी होंगे, किन्तु वहां ना भी गए तो विश्वविख्यात विभूति होने के कारण उनके नाम पर ही " रोम" पड़ा । यह तो हुई तार्किक बात --- अब इसके प्रमाण भी है ---
इटली देश मे ईसापूर्व के जो मकान पुरातत्व उल्लेखन में पाए गए है- उसमे रामायण के चित्रों के प्रसंग पाए गए है । वे चित्र इटली की एट्रू स्कं सभ्यता के बताए जाते है । वैसे तो यूरोपीय इतिहासकार आजतक जो ऐतिहासिक खोज कर पाए है, वह बिल्कुल भी विश्वास के लायक नही है। उन गधामूर्खो का साफ साफ केवल यही मानना है की पूर्व में तो कोई सभ्यता थी ही नही, आदमी उन्नत था ही नही, कमबख्त आदमी को बंदर का वंशज बताते है ।यूरोप का आजतक का सारा संसोधन उटपटांग पूर्व कल्पनाओं पर आधारित होने से , बहुमूल्य प्रमाण मिलने पर भी निकम्मा होकर रह गया है, जबकि उनके आधारों ओर सारे विश्व का इतिहास दुबारा लिखा जा सकता है, ओर लिखा भी जाना चाहिए ।उन प्रमाणों के इतना अधिक महत्व है ।
इटली में रावण नगर भी
रोम के रामनगर होने का प्रमाण यह भी है, की रोम के पूर्णतया विरोधी दिशा के स्थान पर रावण नाम का Ravenna नाम का भी नगर है । अब राम का बिल्कुल ठीक विरोधी रावण था, तो हो सकता है वहां भी वामपंथियो ने यह रावण नगर बसाने की दुस्तता की हो ।
इटली के एक नगर Milano ( मिलेनो ) नाम से भी जाना जाता है :- यह राम के भरत के मिलाप के प्रसंग पर इसका नाम पड़ा है ।
एक समय था जब सारे यूरोप को "इबरीय ( iberia)" कहा जाता था । हो सकता है शिवरिय से श निकलकर इबरीय रह गया हो । या फिर यह हो सकता है, यूरोप के लोग सुरूप होने के कारण सुरूप से यह यूरूप बन गया हो ।
इटली के लोगो की वैदिक क्षत्रिय परम्परा
वैदिक क्षत्रियो के धर्मयुद्ध के उनकी क्षत्रिय वीरता के आदर्श रोमन परम्परा में बराबर देखे जाते है । जैसे केशरी वस्त्र पहनकर रणभूमि में उतरना । रोमन परंपरा में उन वस्त्रो को जामुनी रंग कहा गया है । किन्तु वह मूलतः केशरी थे । युद्ध करने निकला व्यक्ति जीवन के सारे प्रलोभन त्याग के निकलता था । ओर आवश्कता पड़ने पर प्रतिहार करते हुए प्राण भी देना पड़ता था । ऐसी भावना से युद्ध करने निकला व्यक्ति केशरिया वस्त्र पहनकर निकलता था । रोमन सैनिक भी वही किया करते थे ।।
कॉन्वेंट (Convent ) विद्यालय
Convent शब्द आजकल बड़ा प्रचलित है। कान्वेंट यानी ईसाई धर्माश्रम , उनके चलाये हुए विद्यालयों को कान्वेंट स्कूल ( विद्यालय) कहते है । इसका पुराना नाम शनवन्तशाला है । यह एक संस्कृत शब्द है ।जैसे पोस्ट में ऊपर पहले भी लिखा है , अगर c का उच्चारण हम "स" कर ले तो यह शनवन्त शब्द है। " शं " यानी मंगल । जैसे शंकर यानि मंगल करने वाला । शन्नो देवी यानी हमारा मंगल करने वाली देवी । उसी तरह यह मंगल करने वाला स्थान कान्वेंट कहलाता । इसी प्रकार शाला शब्द को विकृत कर स्कूल लिखा जाता है ।।
इस प्रकार ढूंढते जाइये ... बहुत कुछ है इटली में जो साबित करता है, की यहां पहले हिन्दू धर्म ही था । शंकर देव का मन्दिर भी यहां रहा है, इसका विवरण आगे कभी ... गणेश पूजा भी होती थी ।
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