सती प्रथा का सच ओर देशद्रोही समाज सुधारक
राजा राममोहन राय जैसे कथाकथित समाज सुधारी भारत मे प्रचलित समाज सुधारी सती-प्रथा का विरोध करते थे । वो उस प्रथा का विरोध करते थे, जो समाज मे थी ही नही ।
सबसे पहले कोई भी महिला सती क्यो होती थी, इसका कारण जानना अनिवार्य है । मुसलमानो के नबी साहब ने धर्म मे यह उदारहण दे दिया, की मरी हुई देह के साथ भी कुकर्म हलाल है । अली की माँ और साहब की चाची मरी थी, उस मरी हुई स्त्री के साथ भी साहब ने मुँह काला करने में शर्म नही की , यहां तक कि उसके ही बेटे अली के सामने ही ।
अब यह आदत सारे मुसलमानो में आ गयी । हिन्दू राजपूत राजा भी किसी पर आक्रमण करते, तो दुर्ग लूटते, धन लूटते , लेकिन किसी महिला पर कोई अत्याचार नही करते । इसका उदारहण यह है, की शिवाजी के साथ लूट के माल के रूप में ओरेंगजेब की बेटी हाथ लग गई , किन्तु शिवाजी ने उसे अपनी बेटी कहकर ही संबोधित किया ।।
इसके विपरीत मुस्लिम आक्रमणकारी जहां भी आक्रमण करते, धन लूटते, संपति को नुकसान पहुंचाते, ओर महिलाओं का बलात्कार , सुंदर लड़को से लौंडेबाजी आदि करते । यहां तक कि कोई महिला मर भी जाति तो उसके देह का अपमान करने से भी मुसलमान पीछे ना हटते ।
अब हिन्दू महिलाओं के पास एक ही उपाय था , की अपनी देह को अग्नि में समर्पित कर दे । ताकि मुसलमानो के केवल राख हाथ लगे । ऐसा ही मुगलकाल में हुआ । अंग्रेज जब आये, तो वह भी यही करते । विधवा हिन्दू ओरतो को जबरदस्ती रखैल बना लेते ।
अपने मान ओर सम्मान को बचाने के लिए, हिन्दुओ के पास ओर कोई विकल्प नही बचा था । ओर यही सती प्रथा का मुख्य कारण था ।
आज आर्य समाजी राजाराममोहन राय और दयानन्द के गुण गाना नही भूलते, आप स्वम् विचार करें, की उन्होंने हमारी संस्कृति का उद्धार किया, या अपमानित किया ??
दयानन्द ओर राजा राममोहन राय जैसे लोग केवल देशद्रोही थे, ओर कुछ नही ।।
राजा राममोहन राय जैसे कथाकथित समाज सुधारी भारत मे प्रचलित समाज सुधारी सती-प्रथा का विरोध करते थे । वो उस प्रथा का विरोध करते थे, जो समाज मे थी ही नही ।
सबसे पहले कोई भी महिला सती क्यो होती थी, इसका कारण जानना अनिवार्य है । मुसलमानो के नबी साहब ने धर्म मे यह उदारहण दे दिया, की मरी हुई देह के साथ भी कुकर्म हलाल है । अली की माँ और साहब की चाची मरी थी, उस मरी हुई स्त्री के साथ भी साहब ने मुँह काला करने में शर्म नही की , यहां तक कि उसके ही बेटे अली के सामने ही ।
अब यह आदत सारे मुसलमानो में आ गयी । हिन्दू राजपूत राजा भी किसी पर आक्रमण करते, तो दुर्ग लूटते, धन लूटते , लेकिन किसी महिला पर कोई अत्याचार नही करते । इसका उदारहण यह है, की शिवाजी के साथ लूट के माल के रूप में ओरेंगजेब की बेटी हाथ लग गई , किन्तु शिवाजी ने उसे अपनी बेटी कहकर ही संबोधित किया ।।
इसके विपरीत मुस्लिम आक्रमणकारी जहां भी आक्रमण करते, धन लूटते, संपति को नुकसान पहुंचाते, ओर महिलाओं का बलात्कार , सुंदर लड़को से लौंडेबाजी आदि करते । यहां तक कि कोई महिला मर भी जाति तो उसके देह का अपमान करने से भी मुसलमान पीछे ना हटते ।
अब हिन्दू महिलाओं के पास एक ही उपाय था , की अपनी देह को अग्नि में समर्पित कर दे । ताकि मुसलमानो के केवल राख हाथ लगे । ऐसा ही मुगलकाल में हुआ । अंग्रेज जब आये, तो वह भी यही करते । विधवा हिन्दू ओरतो को जबरदस्ती रखैल बना लेते ।
अपने मान ओर सम्मान को बचाने के लिए, हिन्दुओ के पास ओर कोई विकल्प नही बचा था । ओर यही सती प्रथा का मुख्य कारण था ।
आज आर्य समाजी राजाराममोहन राय और दयानन्द के गुण गाना नही भूलते, आप स्वम् विचार करें, की उन्होंने हमारी संस्कृति का उद्धार किया, या अपमानित किया ??
दयानन्द ओर राजा राममोहन राय जैसे लोग केवल देशद्रोही थे, ओर कुछ नही ।।
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