महावीर से गौतम बुद्ध की सच्चाई

भगवान् महावीर के उत्तम ज्ञानी शिष्य गौतम
"गौतमदागतो देव: स्वर्गाग्रद गौतमो मत ,तेन प्रोक्तमधीनस्त्व चासो गौतामश्रुति "(दितीय पर्व श्लोक ५३ )
अर्थात महावीर स्वामी १६ वे स्वर्ग से अवतरित हुए इसलिए उन्हें गौतम कहते है और गौतम की वाणी सुनने से आप का भी नाम गौतम है
अर्थात गौतम की वाणी सुनने वाला भी गौतम है और स्वयं गौतम भी गोतम है |
अतः गौतम भगवान् महावीर है और गौतम उपाधिनाम है जो भगवान् महावीर के उत्तम ज्ञानी शिष्य गौतम कहलाते है |
जैन मत की माने तो महावीर स्वामी के शिष्य गणधर ही बुद्ध है :-
आदिनाथ पुराण में आया है :-
" चतुर्भिश्रचमलेर्बोधैरबुद्धतस्व जगद यत:| प्रज्ञापारमित बुद्ध त्वा निराहुरतो बुधा:" (दितीय पर्व श्लोक ५५ )
हे देव आपने ४ निर्मल ज्ञानो (४ आर्य सत्य ) के द्वारा संसार को जान लिया है तथा आप बुद्धि के पार को प्राप्त हुए है इसलिए संसार आपको बुद्ध कहता है..


अतः इन दोनों प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि महावीर भी गौतम है और गणधर भी गौतम और सिद्धार्थ भी अत: तीनो बुद्ध है |
दिगंबर जैन के एक और ग्रन्थ धर्म परीक्षा अमितगत (जैन हितेषी पुस्तकालय कर्नाटक द्वारा प्रसारित पेज संख्या २५९ की पांति २४ पर उल्लेखित है कि:-
रुष्टश्रवारनाथस्य तपस्वीमोगलायन:| शिष्य: श्रीपार्श्वनाथस्य विदधेबुद्धदर्शनम ||
पार्श्वनाथ के तपस्वी चेले वीरनाथ ने रुष्ट हो कर बुद्ध धर्म स्थापित किया |
महावीर भी गौतम बुद्ध है , महावीर के शिष्य गणधर गौतम भी बुद्ध है और पार्श्वनाथ के तपस्वी चेले विरनाथ भी बुद्ध है और सिद्धार्थ गोतम भी बुद्ध है | अतः महावीर, सिद्धार्थ, गणधर, वीरनाथ को गौतम बुद्ध कहा गया यानि इन चारो ने बुद्धत्व पा लिया है इसलिए ये बुद्ध कहलाये |
गौतम बुद्धत्व अवस्था, महावीर से पाए गए ज्ञान को गणधर ने शिक्षा के रूप में सहेज दिया |भगवान् महावीर के शिष्य गणधर ( गौतम बुद्ध अवस्था प्राप्त ) की शिक्षा को वीरनाथ ने बुद्धत्व के प्रचार के लिए उपयोग किया | वीरनाथ ने भगवान् महावीर को गौतम बुद्ध के रूप में स्थापित किया |  जिसमे उन्होंने महावीर के परम शिष्य गणधर का ज्ञान, धर्म,  बुद्धत्व मार्ग की शिक्षा का प्रसार किया | जिससे गौतम बुद्धत्व प्राप्त हो सके | अतः इस प्रकार भगवान् महावीर को गौतम बुद्ध के रूप में जाना गया |

भगवान् महावीर और इनकेे शिष्य गौतम बुद्ध कहलाये | इनके शिष्यों ने महावीर के बुद्धत्व का देश - विदेश में प्रचार प्रसार किया | भारत में इनके अनुयायी जैन कहलाये | वही हर जगह गौतम बुद्ध अवस्था प्राप्त किये भगवान् महावीर को शिष्यों और अनुयायी ने गौतम बुद्ध कहा | हर जगह भगवान् महावीर गौतम बुद्ध के रूप में पूजे जाने लगे | वहीँ भारत में महावीर के रूप में ख्याति पायी | ये शिष्य महावीर के सुगम मार्ग की शिक्षा दिया | जैन वाली शिक्षा कठिन थीं | इनके शिष्य जनमानस को कर पाने योग्य सत्य धर्म और भगवान् महावीर ( गौतम बुद्ध ) की शरणागति की शिक्षा दिया |
तः भगवान विष्णु के अवतार महावीर और गौतम बुद्ध दोनों कहलाये | 



अतः इसप्रकार से भगवान् महावीर ने गौतम बुद्ध के रूप में ख्याति पायी |
नमोस्त्वनन्ताय सहस्रमूर्तये सहस्रपादाक्षि शिरोरुबाहवे
सहस्रनाम्ने पुरुषाय शाश्वते सहस्रकोटि युग धारिणे नमः |
मुकंकरोति वाचालं पंगुंलंघयते गिरीम्
यत्कृपा त्वमहम् वन्दे परमानन्द माधवम्

SANT RAVIDAS :

Hari in everything, everything in Hari
For him who knows Hari and the sense of self,
no other testimony is needed the knower is absorbed.

हरि सब में व्याप्त है, सब हरि में व्याप्त है । जिसने हरि को जान लिया और आत्मज्ञान हो गया और कुछ जानने की जरूरत नही है वो हरि में व्याप्त या विलीन हो जाता है ।
ज्ञातव्य :ये तथ्यों पर आधारित लेख है | शिव ही जाने सत्य क्या है |
हरि ॐ तत्सत |

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