महेंद्र नाम का एक बालक गाये चराता था, गायों की खूब सेवा करता, गायों से उनका प्रेम देखने लायक होता था । उसी महेंद्र नाम के बालक ने एक ब्राह्मण हरित ऋषि की खूब सेवा की । गौ ओर ब्राह्मण की सेवा में ही उनका जीवन बीत रहा था । हरित महादेव का परम भक्त था ब्राह्मण हरित की भक्ति भाव से खुश होकर एक दिन महादेव एकलिंग के रूप में उनके सामने प्रकट हुए । जब महादेव ने हरित ऋषि को एक वरदान मांगने को कहा, तो उन्होंने एक ही वर मांगा - की महेंद्र को एक विशाल राजपाठ दिया जाए ! महादेव ने तथास्तु कहते हुए उनकी विनती स्वीकार कर ली ।
आज महेंद्र गाय चराने के बाद हरित ऋषि के पास पहुंचने में देरी कर दी ! और हरित ऋषि अपना विमान लेकर चल निकल गया, जब महेंद्र वहां ऋषि के पास आये, तो आसमान में केवल विमान दिखाई दे रहा था, वहीं से हरित ऋषि ने एक पान फेंका , अगर वो पान महेंद्र के मुंह मे सीधा पड़ता, तो वो अमर हो जाते, उनकी कभी म्रत्यु ही नही होती ! लेकिन वह पान महेंद्र के पांव पर आकर गिरा, ओर वही उनका दूसरा वरदान था, की जब तक सूर्य और चंद्रमा रहेंगे, तब तक महेंद्र के कुल का कभी नाश नही हो सकता ।। जहां पान गिरा, वहां की खुदाई करवाने के भी आदेश महेंद्र को मिले, ओर जब खुदाई हुई, तो अपार धन संपदा महेंद्र को मिली ।
आखिर यह महेंद्र था कौन ? -
महेंद्र कोई और नही, भगवान राम के वंश का एक सुर्यवंशी राजपुत्र ही था । लगातार विदेशी आक्रमणों के कारण ई का राज्य छिन्न भिन्न हो चुका था, भगवान राम का वंश कभी खत्म ना हो, इसलिए भगवान विष्णु खुद ब्राह्मण बनकर महेंद्र की सहायता करने आये थे । इसलिए मेवाड़ के राजवंश में ब्राह्मणो के भी विशेष गुण पाए जाते है, नेतृत्व ओर वीरता दोनो उनमें समाहित होती ही है, लेकिन साथ मे मेवाड़ राजवंशो की दयाभाव भी ब्राह्मणो से कहीं कम नही पायी जाती ।। महेंद्र के पिता का नाम नागदित्य था, महेंद्र जब मात्र तीन वर्ष के थे, तब भीलो ने उन्हें घेर कर मार डाला था ।
मौर्यवंशी राजा यूं तो बहुत विख्यात हुए, लेकिन उनकी आखिरी पीढियां अत्याचारी ही थी, साथ मे कायर भी । जब विदेशियों ने आक्रमण किया, तो सारे मौर्य वंशी राजा, सामन्त भाग खड़े हुए, उस समय महेंद्र ने ही केवल विदेशियों का बड़ी द्रढता से सामना किया, ना केवल सामना किया, बल्कि उन्हें मार मार उनके देश भी खदेड़ दिया ! अब महेंद्र को नही ! उन विदेशियों को अपने राज्य की रक्षा महेंद्र से करनी थी ।
इसी शूरवीरता, बाहुबल, अद्भुत सौंदर्य , बलिष्ठ , गुणवान, वीर्यवान, चरित्रवान ओर वीर पराक्रमी राजा का नाम बड़े सम्मान के साथ लोग लेने लगे --- बप्पा रावल
राजा प्रजा के लिए उनके पिता के समान होता है, बप्पा रावल का चरित्र वही था, वे केवल रणभूमि में क्षत्रिय था, आम तौर पर उनका व्यवहार एक ब्राह्मण के जैसा ही था, इतनी अपार धन संपत्ति मिलने के बाद भी उन्होंने कभी विलासता में जीवन व्यतीत नही किया, राजसिंहासन पर बैठा यह वीर पुरुष एक सन्यासी की भांति अपना जीवन व्यतीत कर रहा था । बप्पा रावल के बाद 1100 वर्ष तक इन राजवंश ने शाशन किया, जिसमे 59 राजा हुए । बप्पा रावल ने अपने विजयी अभियान में पूरे भारत समेत , कश्मीर, ईरान , इराक़, तुर्किस्तान, सीरिया आदि देशों ने भी अपना साम्राज्य स्थापित किया ।।
बप्पा का अर्थ -- बप्पा महेंद्र का कोई नाम नही था, महेंद्र का दूसरा नाम कालभोज भी था । बप्पा नाम ठीक वैसे ही है, जैसे महात्मागांधी को बापू कहकर बुलाया जाता है, समस्त राष्ट्र के लिए पिता स्वरूप होने के कारण हर कोई उन्हें बप्पा ही कहता । अपने ब्राह्मण स्वभाव के कारण बप्पा रावल ने जीवन के अंतिम पड़ाव में , राजपाठ सबकुछ त्याग कर वन की ओर तपस्या के लिए प्रस्थान किया ।।
आज महेंद्र गाय चराने के बाद हरित ऋषि के पास पहुंचने में देरी कर दी ! और हरित ऋषि अपना विमान लेकर चल निकल गया, जब महेंद्र वहां ऋषि के पास आये, तो आसमान में केवल विमान दिखाई दे रहा था, वहीं से हरित ऋषि ने एक पान फेंका , अगर वो पान महेंद्र के मुंह मे सीधा पड़ता, तो वो अमर हो जाते, उनकी कभी म्रत्यु ही नही होती ! लेकिन वह पान महेंद्र के पांव पर आकर गिरा, ओर वही उनका दूसरा वरदान था, की जब तक सूर्य और चंद्रमा रहेंगे, तब तक महेंद्र के कुल का कभी नाश नही हो सकता ।। जहां पान गिरा, वहां की खुदाई करवाने के भी आदेश महेंद्र को मिले, ओर जब खुदाई हुई, तो अपार धन संपदा महेंद्र को मिली ।
आखिर यह महेंद्र था कौन ? -
महेंद्र कोई और नही, भगवान राम के वंश का एक सुर्यवंशी राजपुत्र ही था । लगातार विदेशी आक्रमणों के कारण ई का राज्य छिन्न भिन्न हो चुका था, भगवान राम का वंश कभी खत्म ना हो, इसलिए भगवान विष्णु खुद ब्राह्मण बनकर महेंद्र की सहायता करने आये थे । इसलिए मेवाड़ के राजवंश में ब्राह्मणो के भी विशेष गुण पाए जाते है, नेतृत्व ओर वीरता दोनो उनमें समाहित होती ही है, लेकिन साथ मे मेवाड़ राजवंशो की दयाभाव भी ब्राह्मणो से कहीं कम नही पायी जाती ।। महेंद्र के पिता का नाम नागदित्य था, महेंद्र जब मात्र तीन वर्ष के थे, तब भीलो ने उन्हें घेर कर मार डाला था ।
मौर्यवंशी राजा यूं तो बहुत विख्यात हुए, लेकिन उनकी आखिरी पीढियां अत्याचारी ही थी, साथ मे कायर भी । जब विदेशियों ने आक्रमण किया, तो सारे मौर्य वंशी राजा, सामन्त भाग खड़े हुए, उस समय महेंद्र ने ही केवल विदेशियों का बड़ी द्रढता से सामना किया, ना केवल सामना किया, बल्कि उन्हें मार मार उनके देश भी खदेड़ दिया ! अब महेंद्र को नही ! उन विदेशियों को अपने राज्य की रक्षा महेंद्र से करनी थी ।
इसी शूरवीरता, बाहुबल, अद्भुत सौंदर्य , बलिष्ठ , गुणवान, वीर्यवान, चरित्रवान ओर वीर पराक्रमी राजा का नाम बड़े सम्मान के साथ लोग लेने लगे --- बप्पा रावल
राजा प्रजा के लिए उनके पिता के समान होता है, बप्पा रावल का चरित्र वही था, वे केवल रणभूमि में क्षत्रिय था, आम तौर पर उनका व्यवहार एक ब्राह्मण के जैसा ही था, इतनी अपार धन संपत्ति मिलने के बाद भी उन्होंने कभी विलासता में जीवन व्यतीत नही किया, राजसिंहासन पर बैठा यह वीर पुरुष एक सन्यासी की भांति अपना जीवन व्यतीत कर रहा था । बप्पा रावल के बाद 1100 वर्ष तक इन राजवंश ने शाशन किया, जिसमे 59 राजा हुए । बप्पा रावल ने अपने विजयी अभियान में पूरे भारत समेत , कश्मीर, ईरान , इराक़, तुर्किस्तान, सीरिया आदि देशों ने भी अपना साम्राज्य स्थापित किया ।।
बप्पा का अर्थ -- बप्पा महेंद्र का कोई नाम नही था, महेंद्र का दूसरा नाम कालभोज भी था । बप्पा नाम ठीक वैसे ही है, जैसे महात्मागांधी को बापू कहकर बुलाया जाता है, समस्त राष्ट्र के लिए पिता स्वरूप होने के कारण हर कोई उन्हें बप्पा ही कहता । अपने ब्राह्मण स्वभाव के कारण बप्पा रावल ने जीवन के अंतिम पड़ाव में , राजपाठ सबकुछ त्याग कर वन की ओर तपस्या के लिए प्रस्थान किया ।।
mahtma gandhi ko lana jaruri tha kya or es kahani me true h ye konse etihakik book se liya gya h
ReplyDeleteye to such h harit rishi ka ashirwad tha but harit rishi viman leke chale gye or vo paan wala kissa kaha se likha aapne ky aapke pass es baat ka koi praman h
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ReplyDeleteThe pan which was thrown by Rishi Harit was the Vibhakti that was to Cathched by Bappa Rawal. Its a well known fact written in many books of history of Mewar.
ReplyDeleteAs the mahatma Gandhi was from Gujarat therefore he was known as Bapu. Bapu is the respect given to elders in Gujarat. In the same manner Bappa rawal'S, (The mahendra or kal bhoj) dynasty Guhilot Vansh was originated from Gujarat where Bapu was the title given to Bappa Rawal, being from Gujarat, only then he was called as Bappa. Bappa rawal's father Nagaditya was from Gujarat who was killed by Bhils ( a adivasi caste )therefore Bappa rawal was brought up by Brahman family at Nagada village near Udaipur. (Rajasthan)