भगवान् परशुराम के फरसे पर देश का नाम पर्शिया पारा था !
इन्होंने भी तो प्रजा ओर समाज की रक्षा ही कि । दुस्ट सहस्त्रार्जुन को अपनी शक्ति का इतना घमंड हो गया, की उसने पूरे समाज की अवहेलना करनी शुरू कर दी । ब्राह्मणो का काल बन गया वो । उससे परेशान ब्राह्मण जंगलो में जाकर रहने लगे, लेकिन उस दुस्ट ने वहां भी उनका पीछा नही छोड़ा । गाय पालन और कृषि के द्वारा ब्राह्मणो ने अन्य समाज के लोगो के साथ मिलकर जंगल मे ही स्वर्ग बना लिया !
लेकिन सहस्त्रार्जुन ने जंगल मे पहुँचकर ब्राह्मणो से गाय छीनने का प्रयास किया । इसी अत्याचार में अनेक गायों का वध उसने कर दिया । इस अन्याय पर क्रोधित होकर परशुराम ने उनके विरुद्ध अभियान छेड़ दिया, ओर सहस्त्रार्जुन का वध कर उसके अधिकार वाले 100 राज्यो को पापी ओर क्रूर शाशन से मुक्ति दिलवाई । लेकिन हेहैयी वंशी अब भी नही रुके, ओर परशुराम के पिता की हत्या कर दी । परशुराम को अपने पिता से कितना प्रेम था इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते है कि अपने पिता के कहने पर अपनी माता तक का शीश परशुराम ने उतार दिया था , अब अपने पिता की हत्या देखकर विनाशकारी रिएक्शन तो परशूराम का होना ही था । उन्होंने 21 बार आक्रमण करके पूरे हैहय वंश का नाश कर दिया ।
उनके जीते गए प्रदेशो में ईरान (फारस) भी था, जिसका पुराना नाम पर्शिया था, यह नाम परशुराम के फरसे पर ही पड़ा था
उनके जीते गए प्रदेशो में ईरान (फारस) भी था, जिसका पुराना नाम पर्शिया था, यह नाम परशुराम के फरसे पर ही पड़ा था
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