Wednesday, 19 July 2017

कोरिया मंचूरिया का हिन्दू इतिहास

कोरिया मंचूरिया का हिन्दू इतिहास

अन्य देशों की तरह कोरिया भी अपना निजी नाम संस्कृत भूल गया है । क्यो की संस्कृत से बिछड़े कोरिया को बहुत ही समय हो गया है । सुरीय ( Syria) जैसा ही कोरिय में भी " इय " संस्कृत शब्द है ।


दूसरी बाबत हमे यह ध्यान रखना अनिवार्य है, की कोरिया में "ग" शब्द का उच्चारण " क " हो गया है, जैसे " गौ" शब्द का उच्चार अंग्रेजी में Cow ( काऊ या कौ ) हो गया । उसकी प्रकार गोरिया शब्द का उच्चारण अब कोरिया होने लगा है ।

गौरी एक वैदिक देवी है । वह शिवजी की पत्नी है । ओर गौरी को जगतमाता के रूप में सारे विश्व मे पूजा जाता था । देवीपूजक देश होने के कारण उस देश का नाम गोरिया पड़ा ।

इसी प्रकार मंचूरिया देश का नाम भी दूसरी एक वैदिक देवी मंजूश्री के नाम से मंचूरिया पड़ा ।

#कोरिया_का_सुर्यवंशी_राजा - पहली शताब्दी में एक कोरियाई राजा का नाम किम सुरों था । " सुरों " यह सूर्य शब्द है । किम यह सिंह का प्रतीक है । सिंह हिन्दू राजा लोग लगाते है । अतः यह सुर्यवंशी राजा ही था ।

भारतीय राजकुल से विवाह सम्बन्ध

उस समय सुर्यवंशी राजा जो अयोध्या पर शाशन करता था, उसकी पुत्री का किम सुरों से विवाह हुआ था । इससे यह सिद्ध होता है कि कोरिया के राजवंश भी वैदिक आर्यधर्मी हिन्दू सनातनी ही था । कोरिया के इतिहास में लिखा है की ईस्वी सन 53 में अयोध्या की राजकुमारी ईश्वरीय आज्ञा के अनुसार नोका से कोरिया में दाखिल हुई । इसका अर्थ यह है, की भारत और कोरिया में वैवाहिक सम्बन्ध भी था ।

उस समय कोरिया की राजधानी का नाम " गया " हुआ करता था । बाद में इसका नाम " कया " पड़ गया, कारण ग का उच्चारण " क " करने लगे । कोरिया विभाजन के बाद यह नाम लुप्त हो गया , लेकिन इतिहास में आज भी वह नाम दर्ज है । उसके बाद कोरिया की राजधानी का नाम " UNJJIN " भी रहा ! जो स्पष्ठतया उज्जैन नाम है । उज्जैन नाम का नगर भारत मे आज भी है ।

कोरिया के मंदिर

कोरिया में लोग मंदिर को पेगोडी कहते है । यूरोपीय ओर फ्रेंच भाषाओं में भी यही कहा जाता है । पेगोडी शब्द भगवती शब्द का अपभ्रंस है । भगवती से यह " पगवती " बना, उसके बाद पेगोडी हो गया ।

कोरिया की राजधानी Goguryeo भी पड़ी, तीसरी बार राजधानी परिवर्तन में यह नाम पड़ा । यह भो गौरिया शब्द का ही अपभ्रंस है । कोरिया में एक नगर का नाम GUNGNAE यह गुणगाणी शब्द का अपभ्रंस है । यहां एक नगर का नाम WIRYESEONG है । जो साफ साफ संस्कृत के वीर यश सेना नाम का अपभ्रंस है ।

कोरिया की स संस्कृति में पग पग पर हिन्दू इतिहास बिखरे पड़े है । कम्युनिट लोग भले ही सनातन को लांछन देते हुए अन्य धर्म की महिमामंडन करते फिरे, लेकिन आज अन्य देशों की क्या हालत है, जहां सनातन नही है ! इसका परिणाम भी विश्व के सामने प्रत्यक्ष रूप से है ।

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