वेद पुराण कहते है भगवन ब्रह्मा ने जीवो की आयु और कर्म के लिए नियम बनाये है | नियम को मृत्युभुवन का राजा काल और इंद्र है | नियम को पालन करना ही धर्म है | मृत्यु एक सच्चाई है |
जीव की आत्मा अमर है | आत्मा का एक मात्र आश्रय और एक मात्र अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति या आत्मा का श्री हरि (नारायण) में मिल जाना है | यानी आत्मा का परमात्मा में मिलना ही मोक्ष है | जो जीव मोक्ष प्राप्त करता है उसका पुनः जन्म नहीं होता है |
ज्ञान वैराग्य भक्तिमार्ग तपस्या योग इत्यादि सत्य (श्री हरि सत्यनारायण ) को पाने का रास्ता है | अतः श्री हरि विष्णु (नारायण) को पाने का अनेक रास्ता है लेकिन भक्ति प्रेम आसान रास्ता है |
वाल्मीकि बुद्ध महावीर शंकराचार्य रामकृष्ण परमहंस विवेकानंद ने ज्ञान और वैराग्य का रास्ता चुना | जो सामान्य जीवों से संभव नहीं है | ये तपस्वी और कर्मयोगी द्वारा संभव है |
मीरा कबीर तुलसीदास सूरदास रविदास नानक मेंही दास इत्यादि महपुरुषों ने भक्तिमार्ग चुना जो आसान और सुगम है |
बुद्ध एक ज्ञानी वैराग्य की उत्तम अवस्था
"गौतमदागतो देव: स्वर्गाग्रद गौतमो मत ,तेन
प्रोक्तमधीनस्त्व
चासो गौतामश्रुति ""(दितीय पर्व श्लोक ५३ )
अर्थात महावीर स्वामी १६ वे स्वर्ग से
अवतरित हुए इसलिए उन्हें गौतम कहते है और
गौतम की वाणी सुनने से आप का भी नाम गौतम है ,,,
अर्थात गोतम की वाणी सुनने वाला भी गोतम है और स्वयं गोतम भी गोतम है , तो बड़ा संदेहास्पद विषय है कि ई गोतम है कौन? इस दृष्टि से गोतम कोई व्यक्ति विशेष नही है ? गोतम उपाधिनाम है ,
जैन मत की माने तो महावीर स्वामी के शिष्य गणधर ही बुद्ध है :-
आदिनाथ पुराण में आया है :-
" चतुर्भिश्रचमलेर्बोधैरबुद्धतस्व
जगद यत:| प्रज्ञापारमित बुद्ध त्वा निराहुरतो बुधा:"
(दितीय पर्व श्लोक ५५ )
हे देव आपने ४ निर्मल ज्ञानो (४ आर्य सत्य ) के द्वारा संसार
को जान लिया है तथा आप बुद्धि के पार को प्राप्त हुए है इसलिए
संसार आपको बुद्ध कहता है ...
अतः इन दोनों प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि महावीर भी गौतम है और गणधर भी गौतम और सिद्धार्थ भी अत: तीनो बुद्ध है ...
लेकिन असली बुद्ध कौन ? ??
जीव की आत्मा अमर है | आत्मा का एक मात्र आश्रय और एक मात्र अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति या आत्मा का श्री हरि (नारायण) में मिल जाना है | यानी आत्मा का परमात्मा में मिलना ही मोक्ष है | जो जीव मोक्ष प्राप्त करता है उसका पुनः जन्म नहीं होता है |
ज्ञान वैराग्य भक्तिमार्ग तपस्या योग इत्यादि सत्य (श्री हरि सत्यनारायण ) को पाने का रास्ता है | अतः श्री हरि विष्णु (नारायण) को पाने का अनेक रास्ता है लेकिन भक्ति प्रेम आसान रास्ता है |
वाल्मीकि बुद्ध महावीर शंकराचार्य रामकृष्ण परमहंस विवेकानंद ने ज्ञान और वैराग्य का रास्ता चुना | जो सामान्य जीवों से संभव नहीं है | ये तपस्वी और कर्मयोगी द्वारा संभव है |
मीरा कबीर तुलसीदास सूरदास रविदास नानक मेंही दास इत्यादि महपुरुषों ने भक्तिमार्ग चुना जो आसान और सुगम है |
बुद्ध एक ज्ञानी वैराग्य की उत्तम अवस्था
"गौतमदागतो देव: स्वर्गाग्रद गौतमो मत ,तेन
प्रोक्तमधीनस्त्व
चासो गौतामश्रुति ""(दितीय पर्व श्लोक ५३ )
अर्थात महावीर स्वामी १६ वे स्वर्ग से
अवतरित हुए इसलिए उन्हें गौतम कहते है और
गौतम की वाणी सुनने से आप का भी नाम गौतम है ,,,
अर्थात गोतम की वाणी सुनने वाला भी गोतम है और स्वयं गोतम भी गोतम है , तो बड़ा संदेहास्पद विषय है कि ई गोतम है कौन? इस दृष्टि से गोतम कोई व्यक्ति विशेष नही है ? गोतम उपाधिनाम है ,
जैन मत की माने तो महावीर स्वामी के शिष्य गणधर ही बुद्ध है :-
आदिनाथ पुराण में आया है :-
" चतुर्भिश्रचमलेर्बोधैरबुद्धतस्व
जगद यत:| प्रज्ञापारमित बुद्ध त्वा निराहुरतो बुधा:"
(दितीय पर्व श्लोक ५५ )
हे देव आपने ४ निर्मल ज्ञानो (४ आर्य सत्य ) के द्वारा संसार
को जान लिया है तथा आप बुद्धि के पार को प्राप्त हुए है इसलिए
संसार आपको बुद्ध कहता है ...
अतः इन दोनों प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि महावीर भी गौतम है और गणधर भी गौतम और सिद्धार्थ भी अत: तीनो बुद्ध है ...
लेकिन असली बुद्ध कौन ? ??
उत्तर : बुद्ध एक ज्ञानी वैराग्य की उत्तम अवस्था
हे धर्म धुरंधर जागो | श्री राम श्री कृष्ण स्वयं महानरायण है | जिनका भक्तिमार्ग से केवल नाम लेकर ही मनुष्य के जीवन को सार्थक करे |
हरे राम हरे राम | राम राम हरे हरे ||
हरे कृष्ण हरे कृष्ण | कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
हरि ॐ तत्सत |
http://gajendramoksha.in/gajendra_moksha_strota.htmlhttp://www.shankhnad.org/2016/10/blog-post.html
हे धर्म धुरंधर जागो | श्री राम श्री कृष्ण स्वयं महानरायण है | जिनका भक्तिमार्ग से केवल नाम लेकर ही मनुष्य के जीवन को सार्थक करे |
हरे राम हरे राम | राम राम हरे हरे ||
हरे कृष्ण हरे कृष्ण | कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
हरि ॐ तत्सत |
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