मुस्लिम इतिहास के हजार वर्षीय काले इतिहास में , जन्मा ओर पला प्रत्येक भारतीय मुस्लिम शाशक चाहे उसका नाम कुछ भी रहा हो, अकबर या ओरेंगजेब, अहमदशाह या अल्लाउद्दीन , वह बलात्कार, अत्याचार कपट ओर दुष्टता का साक्षात अवतार था । इस सच्चाई को जानने के लिए हमने जो सिर हमने हिन्दू-मुस्लिम एकता की दुहाई देकर जमीन में गाड़ रखा है, उसे बाहर निकालना होगा ! इन्ही शैतानों में एक नाम अल्लाउदीन खिलजी का है, जो अपनी दुष्टता में साक्षात जंगली हिंसक पशु ही था !
इस्लामी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए यह मल्लेछ अपने ससुर ओर चाचा जलालुद्दीन खिलजी का हत्यारा भी था ! गद्दी हड़पने के लिए अपने ही लोगो की हत्या करना इस्लाम की पुरानी परंपरा में शामिल रहा है, इन शांतिप्रिय लोगो ने तो मुहम्मद के परिवार तक को ना छोड़ा था !
घर के आपसी दंगे के बाद अल्लाउद्दीन सुल्तान बना, सुल्तान बनते ही इसकी आंखों में सबसे पहले मुल्तान खटका ! मुल्तान में पहले के सुल्तान जलालुद्दीन के पुत्रगण शाशन कर रहे थे ! इसलिए इसने पहले इनसे ही निपट लेने की ठानी ! मृत सुल्तान की पत्नियों, बच्चो, नोकरो, तथा सहायकों को घेरने के लिए इसने उधुल खान और जफर खान के नेतृत्व में विशाल सेना तैयार की ! जीवन की आशंका से भयभीत होकर मुल्तान के सुल्तानों ने आत्मसमर्पण का संधि पत्र अल्लाउद्दीन को भेज दिया, अल्लाउद्दीन ने भी उस निवेदन को स्वीकार कर लिया , ओर यथोचित आदरसम्मान देने का वचन दिया !
मुल्तान से इन लोगो को दिल्ली लाने के लिए सेना गयी ! अल्लाउद्दीन की ही आज्ञा लेकर नुसरत खान के एक दल ने दिल्ली पहुंचने से पहले सुनसान मार्गपर काफिले को रौका गया ! इसके बाद क्रूर और गंदे कामो की बिस्मिल्लाह हुई ! शाही बंदियों के सारे स्वर्ण आभूषण छीन लिए गए ! सुंदर और जवान नारियों को बलात्कार करने के लिए अलग छांट लिया , शिशुओं ओर बुढो का, जिनका कोई कामुक उपयोग नही था, उन्हें हलालकर ठंडा कर दिया गया , अगर कुछ लोगो को जिंदा भी छोड़ा गया था, तो तपती शलाखाओ से उनकी आंखों को फोड़कर ! जलालुद्दीन के पुत्रों को हाथों में हथकड़ियां डालकर दिल्ली लाया गया , जहां महल के एक गंदे तहखाने में उसे फेंक दिया गया ! जलालुद्दीन के सारे परिवार की महिलाओ को अल्लाउदीन ने अपने हरम में घसीट लिया ! एक मुसलमान अपने ही रक्त ओर मांस से निमित मुसलमान के साथ कितना नीच व्यवहार कर सकता था, उसका यह जीता जागता उदारहण है , काफ़िर तो रहे दर किनारे ....
अपनी श्रेष्ठ ओर अतुलनीय दुष्टता के उपहारस्वरूप नुसरत खान को मुख्यमंत्री का पद मिला ! अब आप यह ना समझे कि क्रूरता केवल अल्लाउद्दीन की बपौती थी, इनमे इन सब का बाप वो आसमानी चंपक की बकैती करने वाला था , यह अल्लाउदीन , अकबर, बकबर तो बस उसके बताए पदचिन्हों पर चल रहे थे , संयोग से अल्लाउदीन को बरनी जैसा चाटुकार इतिहास लेखक मिल गया, जिसने इस शैतान के खूनी कारनामो की प्रशंसा में कुछ अधिक पन्ने रंग डाले !
अल्लाउद्दीन की ताजपोशी के एक वर्ष के भीतर ही विशाल मुगल सेना ने सिंध के क्षेत्रों को कुचलना शुरू कर दिया था ! बढ़ते हुए मुगलो को रोकने के लिए अल्लाउदीन ने भी एक सेना भेज दी , जालंधर के समीप संग्राम हुआ ! विजयी अल्लाउद्दीन की सेना ने हाथ आये सारे मुगलो का सिर काट फेंका , गधो ओर ऊँटो पट लादकर इन सिरों को अल्लाउद्दीन के यहां पार्सल कर दिया गया ! जिसके लिए यह गले- सड़े सिर विजयी मधुवन में फूलो की तरह सुगंध देने वाली वस्तु थी ! अफ्रीका की एक जंगली जाति भी अपने शत्रुओं के सिरों की माला पहनकर इठलाती घूमती है, यह उसी सभ्यता की निशानी है !!
मुगलो को भगाने के बाद जालन्धर में हिन्दुओ पर अब अल्लाउद्दीन की सेना ने कहर ढाया ! मार्ग में जितने भी हिन्दू घर आये, सब लूट लिए गये ! हिन्दू मंदिरो को मस्जिद में तब्दील कर दिया गया ! गायो को काट, हिन्दू नारियों का शील- भंग कर उनकी सारी संपत्ति लूट ली गयी !
हिन्दू - मुस्लिम एकता का बाजा बजाने वाले कुछ सनकी ओर झक्की लोग बड़े नाज ओर नखरों से यह तराना छेदते है, की मुस्लिम सन्तो ने भारत और पाक के मुसलमानो का धर्मपरिवर्तन उनकी इच्छा के अनुसार किया था , ऐतिहासिक द्रष्टिकोण से यह बात एक दम बकवास है, एक ओर बकवास यह कि मुसलमानो ने यहां मस्जिद ओर भवन बनाये, जबकि सच यह है, की हिन्दुओ को लाशों को कुत्तो को खिलाने वाले, हिन्दुओ के बच्चो को अपहरण कर उसका ख़तना वालो ने , एक दीवार भी भारत मे नही खड़ी की, कुतुबमीनार ओर लालकिला तो बहुत दूर की बात है !
वर्ष 1279 में अल्लाउद्दीन की सेना फिर से हिन्दुओ के वार्षिक लूट पर निकली, इस बार गुजरात की बारी थी ! अभियान का भार उधुल खान और नुसरत खान पर था ! तबाही फैलाने वाली मुस्लिम सेना के सामने अपनी राजधानी अहिलनबाड़ को छोड़ गुजरात के करनराय ने अपनी पुत्री देवल देवी के साथ देवगिरि के रामराय के यहां शरण ली ! अन्हिलवाड़ ओर गुजरात को निर्विरोध निर्दयतापूर्ण लूटा गया ! रानी कमलीदेवी अन्तःपुर की अन्य रानियों के साथ मुसलमानो के हत्थे चढ़ गई ! उन सभी का बलात्कार हुआ !
बरनी हमे बताता है " सारा गुजरात आक्रमणकारियों का शिकार हो गया , महमूद गजनवी के लूट के बाद पुनर्स्थापित सोमनाथ की प्रतिमा को दिल्ली लाया गया, तथा लोगो के चलने के लिए उसे बिछा दिया गया ! ( इलियट एंड डाउसन पेज 163 पुस्तक 3 ) प्रत्येक मुस्लिम शाशक ने इन कुकृत्यों को बार बार दोहराया है । वे सभी मंदिर आज भी मस्जिद बने पड़े है ।
इस्लामी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए यह मल्लेछ अपने ससुर ओर चाचा जलालुद्दीन खिलजी का हत्यारा भी था ! गद्दी हड़पने के लिए अपने ही लोगो की हत्या करना इस्लाम की पुरानी परंपरा में शामिल रहा है, इन शांतिप्रिय लोगो ने तो मुहम्मद के परिवार तक को ना छोड़ा था !
घर के आपसी दंगे के बाद अल्लाउद्दीन सुल्तान बना, सुल्तान बनते ही इसकी आंखों में सबसे पहले मुल्तान खटका ! मुल्तान में पहले के सुल्तान जलालुद्दीन के पुत्रगण शाशन कर रहे थे ! इसलिए इसने पहले इनसे ही निपट लेने की ठानी ! मृत सुल्तान की पत्नियों, बच्चो, नोकरो, तथा सहायकों को घेरने के लिए इसने उधुल खान और जफर खान के नेतृत्व में विशाल सेना तैयार की ! जीवन की आशंका से भयभीत होकर मुल्तान के सुल्तानों ने आत्मसमर्पण का संधि पत्र अल्लाउद्दीन को भेज दिया, अल्लाउद्दीन ने भी उस निवेदन को स्वीकार कर लिया , ओर यथोचित आदरसम्मान देने का वचन दिया !
मुल्तान से इन लोगो को दिल्ली लाने के लिए सेना गयी ! अल्लाउद्दीन की ही आज्ञा लेकर नुसरत खान के एक दल ने दिल्ली पहुंचने से पहले सुनसान मार्गपर काफिले को रौका गया ! इसके बाद क्रूर और गंदे कामो की बिस्मिल्लाह हुई ! शाही बंदियों के सारे स्वर्ण आभूषण छीन लिए गए ! सुंदर और जवान नारियों को बलात्कार करने के लिए अलग छांट लिया , शिशुओं ओर बुढो का, जिनका कोई कामुक उपयोग नही था, उन्हें हलालकर ठंडा कर दिया गया , अगर कुछ लोगो को जिंदा भी छोड़ा गया था, तो तपती शलाखाओ से उनकी आंखों को फोड़कर ! जलालुद्दीन के पुत्रों को हाथों में हथकड़ियां डालकर दिल्ली लाया गया , जहां महल के एक गंदे तहखाने में उसे फेंक दिया गया ! जलालुद्दीन के सारे परिवार की महिलाओ को अल्लाउदीन ने अपने हरम में घसीट लिया ! एक मुसलमान अपने ही रक्त ओर मांस से निमित मुसलमान के साथ कितना नीच व्यवहार कर सकता था, उसका यह जीता जागता उदारहण है , काफ़िर तो रहे दर किनारे ....
अपनी श्रेष्ठ ओर अतुलनीय दुष्टता के उपहारस्वरूप नुसरत खान को मुख्यमंत्री का पद मिला ! अब आप यह ना समझे कि क्रूरता केवल अल्लाउद्दीन की बपौती थी, इनमे इन सब का बाप वो आसमानी चंपक की बकैती करने वाला था , यह अल्लाउदीन , अकबर, बकबर तो बस उसके बताए पदचिन्हों पर चल रहे थे , संयोग से अल्लाउदीन को बरनी जैसा चाटुकार इतिहास लेखक मिल गया, जिसने इस शैतान के खूनी कारनामो की प्रशंसा में कुछ अधिक पन्ने रंग डाले !
अल्लाउद्दीन की ताजपोशी के एक वर्ष के भीतर ही विशाल मुगल सेना ने सिंध के क्षेत्रों को कुचलना शुरू कर दिया था ! बढ़ते हुए मुगलो को रोकने के लिए अल्लाउदीन ने भी एक सेना भेज दी , जालंधर के समीप संग्राम हुआ ! विजयी अल्लाउद्दीन की सेना ने हाथ आये सारे मुगलो का सिर काट फेंका , गधो ओर ऊँटो पट लादकर इन सिरों को अल्लाउद्दीन के यहां पार्सल कर दिया गया ! जिसके लिए यह गले- सड़े सिर विजयी मधुवन में फूलो की तरह सुगंध देने वाली वस्तु थी ! अफ्रीका की एक जंगली जाति भी अपने शत्रुओं के सिरों की माला पहनकर इठलाती घूमती है, यह उसी सभ्यता की निशानी है !!
मुगलो को भगाने के बाद जालन्धर में हिन्दुओ पर अब अल्लाउद्दीन की सेना ने कहर ढाया ! मार्ग में जितने भी हिन्दू घर आये, सब लूट लिए गये ! हिन्दू मंदिरो को मस्जिद में तब्दील कर दिया गया ! गायो को काट, हिन्दू नारियों का शील- भंग कर उनकी सारी संपत्ति लूट ली गयी !
हिन्दू - मुस्लिम एकता का बाजा बजाने वाले कुछ सनकी ओर झक्की लोग बड़े नाज ओर नखरों से यह तराना छेदते है, की मुस्लिम सन्तो ने भारत और पाक के मुसलमानो का धर्मपरिवर्तन उनकी इच्छा के अनुसार किया था , ऐतिहासिक द्रष्टिकोण से यह बात एक दम बकवास है, एक ओर बकवास यह कि मुसलमानो ने यहां मस्जिद ओर भवन बनाये, जबकि सच यह है, की हिन्दुओ को लाशों को कुत्तो को खिलाने वाले, हिन्दुओ के बच्चो को अपहरण कर उसका ख़तना वालो ने , एक दीवार भी भारत मे नही खड़ी की, कुतुबमीनार ओर लालकिला तो बहुत दूर की बात है !
वर्ष 1279 में अल्लाउद्दीन की सेना फिर से हिन्दुओ के वार्षिक लूट पर निकली, इस बार गुजरात की बारी थी ! अभियान का भार उधुल खान और नुसरत खान पर था ! तबाही फैलाने वाली मुस्लिम सेना के सामने अपनी राजधानी अहिलनबाड़ को छोड़ गुजरात के करनराय ने अपनी पुत्री देवल देवी के साथ देवगिरि के रामराय के यहां शरण ली ! अन्हिलवाड़ ओर गुजरात को निर्विरोध निर्दयतापूर्ण लूटा गया ! रानी कमलीदेवी अन्तःपुर की अन्य रानियों के साथ मुसलमानो के हत्थे चढ़ गई ! उन सभी का बलात्कार हुआ !
बरनी हमे बताता है " सारा गुजरात आक्रमणकारियों का शिकार हो गया , महमूद गजनवी के लूट के बाद पुनर्स्थापित सोमनाथ की प्रतिमा को दिल्ली लाया गया, तथा लोगो के चलने के लिए उसे बिछा दिया गया ! ( इलियट एंड डाउसन पेज 163 पुस्तक 3 ) प्रत्येक मुस्लिम शाशक ने इन कुकृत्यों को बार बार दोहराया है । वे सभी मंदिर आज भी मस्जिद बने पड़े है ।
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