#खंडन -
#कौरव_कल्पना_या_सत्य ---
मेरी पिछली पोस्ट पे एक मित्र ने कौरव के 100 भाई होने की जिज्ञासा प्रकट की थी कि कैसे कौरव संख्या में 100 हुए जो सम्भव नही प्रतीत होता है । आज इसका खंडन करेंगे ।।
मेरी पिछली पोस्ट पे एक मित्र ने कौरव के 100 भाई होने की जिज्ञासा प्रकट की थी कि कैसे कौरव संख्या में 100 हुए जो सम्भव नही प्रतीत होता है । आज इसका खंडन करेंगे ।।
---- #विधर्मियो_के_कुतर्क -----
किसी भी एक जोड़े मानव दंपत्ति से 100 पुत्र पैदा होना असंभव है ऐसा हो ही नही सकता है । महाभारत सिर्फ कल्पना है जिसका कोई अस्तित्व नही है सिर्फ पंडितो ने अपने जीवन यापन के लिए ये कहानियां गढ़ ली है ना तो इसके पात्रों का कोई अस्तित्व है और 100 कौरव पुत्र ये तो बस कल्पना की पराकाष्ठा है मूर्ख बनाने की ।।
------- #खण्डन_वैज्ञानिक ------
#पिछली पोस्ट में आपको मैंने बताया कि किस तरह कृतिम गर्भधारण कराया जाता था और इससे वन्श वृद्धि की जाती थी और अपना वंश बढ़ाया जाता था ।
कौरवों के 100 होने के पीछे भी कोई चमत्कार नही बल्कि विशुद्ध विज्ञान था आइये आपको परिचित कराते है उस तकनीकी से हालांकि अभी वर्तमान तकनीकी उंसके समकक्ष नही कही जा सकती फिर भी उससे तुलना करने पे आपको समझ आ जयगा की इसी तकनीकी का इस्तेमाल किया गया था जो उस समय कही ज्यादा अग्रणी था ।।
कौरवों के 100 होने के पीछे भी कोई चमत्कार नही बल्कि विशुद्ध विज्ञान था आइये आपको परिचित कराते है उस तकनीकी से हालांकि अभी वर्तमान तकनीकी उंसके समकक्ष नही कही जा सकती फिर भी उससे तुलना करने पे आपको समझ आ जयगा की इसी तकनीकी का इस्तेमाल किया गया था जो उस समय कही ज्यादा अग्रणी था ।।
#वैदिक_साहित्यो_के_अनुसार -- वेदव्यास ने गांधारी के गर्भ से निकले मांस पिण्ड पर अभिमंत्रित जल छिड़का जिससे उस पिण्ड के अंगूठे के पोरुये के बराबर सौ टुकड़े हो गए। वेदव्यास ने उन टुकड़ों को गांधारी के बनवाए हुए सौ कुंडों में रखवा दिया और उन कुंडों को दो वर्ष पश्चात खोलने का आदेश देकर अपने आश्रम चले गए। दो वर्ष बाद सबसे पहले कुंड से दुर्योधन की उत्पत्ति हुई। फिर उन कुंडों से धृतराष्ट्र के शेष 99 पुत्र एवं दु:शला नामक एक कन्या का जन्म हुआ ।
ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) वह क्रिया है जिससे विविध शारीरिक ऊतक अथवा कोशिकाएँ किसी बाह्य माध्यम में उपयुक्त परिस्थितियों के विद्यमान रहने पर पोषित की जा सकती हैं। यह भली भाँति ज्ञात है कि शरीर की विविध प्रकार की कोशिकाओं में विविध उत्तेजनाओं के अनुसार उगने और अपने समान अन्य कोशिकाओं को उत्पन्न करने की शक्ति होती है। यह भी ज्ञात है कि जीवों में एक आंतरिक परिस्थिति भी होती है। (जिसे क्लाउड बर्नार्ड की मीलू अभ्यंतर कहते हैं) जो सजीव ऊतक की क्रियाशीलता को नियंत्रित रखने में बाह्य परिस्थितियों की अपेक्षा अधिक महत्व की है।
#ऊतक-संवर्धन-प्रविधि का विकास इस मौलिक उद्देश्य से हुआ कि कोशिकाओं के कार्यकारी गुणों के अध्ययन की चेष्टा की जाए और यह पता लगाया जाए कि ये कोशिकाएँ अपनी बाह्य परिस्थितियों से किस प्रकार प्रभावित होती हैं और उनपर स्वयं क्या प्रभाव डालती हैं। इसके लिए यह आवश्यक था कि कोशिकाओं को अलग करके किसी कृत्रिम माध्यम में जीवित रखा जाए जिससे उनपर समूचे जीव का प्रभाव न पड़े।फिर उस कोशिकाओं से पूरा जीव तैयार करना ही
ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) तकनीकी का हिस्सा है ।
ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) तकनीकी का हिस्सा है ।
#विशेष - आज के समय मे भी ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) से पूरी की पूरी एक नई पीढ़ी तैयार की जा रही है हालांकि ये अभी पौधों पे ही सफल हो पाई है और जीवो पे अभी इसका प्रयोग सफल तो हुआ है लेकिन उसकी दर कम है (क्लोनिंग) ।
तो अब आप को पता चल ही गया होगा कि कौरवों की संख्या 100 होना मात्र कल्पना नही एक सत्य है जिसकी पुष्टि आज का विज्ञान भी करता है ।।
तो अब आप को पता चल ही गया होगा कि कौरवों की संख्या 100 होना मात्र कल्पना नही एक सत्य है जिसकी पुष्टि आज का विज्ञान भी करता है ।।
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